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रियल स्टेट कंपनी सुपरटेक (Supertech) को मंगलवार के दिन सुप्रीम कोर्ट से एक बड़ा झटका लगा है। दरअसल, आपको बता दें की सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक के नोएडा एक्सप्रेस (Noida Express) स्थित एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट (Emerald Court Project) के अपैक्स एंड स्यान यावे-16 और 17 को अवैध बताया है
और बता दें की दोनों ही 40 मंजिला टावरों को अब ढहाने का आदेश दे दिया है। सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने कंपनी को फ्लैट खरीदारों को उनके पैसे ब्याज के साथ वापस करने का ही आदेश दिया है। Giraye Jayenge Supertech Emerald Court Project
नियमों का किया उल्लंघन , तोड़ने होंगे अवैध टावर
बता व्दें की सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है , कि नोएडा में सुपरटेक (Supertech) ने एमराल्ड कोर्ट (Emerald Court) में लगभग 1 हज़ार फ्लैटों वाले ट्विन टावरों (Twin Towers) का निर्माण करने में नियमों का पालन न करके उसका उल्लंघन किया है
और बता दें की अब कंपनी को अपनी लागत से ही दो महीनों के भीतर-भीतर ही इन्हें तोड़ना होगा। बात दें की इसके साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) को टावरों को ध्वस्त करने का आदेश दिया है जिससे सुरक्षा का भी पूरा ध्यान रखा जा सके।
12 फीसदी ब्याज के साथ लौटाने होंगे पैसे
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उच्च न्यायालय ने सुपरटेक को आदेश देते हुए कहा कि नोएडा में ट्विन टावरों (Twin Towers) के फ्लैट के सभी मालिकों को 12% ब्याज के साथ उनके पैसे वापस किए जाएं। बता दें की कोर्ट ने बिल्डर को रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन को 2 करोड़ रुपए का भुगतान करने का भी आदेश दिया है।
आपको जानकार हैरानी होगी की पीठ ने पाया कि मानदंडों के उल्लंघन में नोएडा अथॉरिटी और बिल्डर दोनों लोगों की मिलीभगत थी दोनों ने मिलकर नियमों का उल्लंघन किया। पीठ ने अपना फैसला सुनते हुए कहा, कि अवैध तरीके के निर्माण से सख्ती के साथ निपटा जाना चाहिए।
अन्य भवनों को नहीं पहुंचना चाहिए नुकसान
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बता दें की पीठ ने फैसला सुनाते हुए यह भी कहा है की टॉवर्स को तोड़ते समय किसी भी अन्य भवनों को छती नहीं पहुंचना चाहिए। उच्च न्यायालय में जस्टिस एमआर शाह, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, ने इस मामले की सुनवाई की।
पहले भी हो चुकी है सुनवाई
शीर्ष अदालत ने तीन अगस्त को अपनी पिछली ही सुनवाई में फैसला सुरक्षित रख लिया था। उस समय भी नोएडा अथॉरिटी को अदालत से बहुत फटकार पड़ी थी। अदालत का कहना था कि अथॉरिटी को एक सरकारी नियामक संस्था के हिसाब से व्यवहार करना चाहिए, ना कि किसी के फायदे के लिए निजी संस्था की तरह।
साल 2014 में इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabaad High Court) की तरफ से भी टॉवर्स को गिराने का निर्देश जारी हुआ था जिसे अब सुप्रीम कोर्ट ने भी सही करार दिया है। Giraye Jayenge Supertech Emerald Court Project
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