जानकारी नहीं, शिक्षा मंत्री के विवादित बयान पर बोले नीतीश कुमार

'जानकारी नहीं', शिक्षा मंत्री के विवादित बयान पर बोले नीतीश कुमार
'जानकारी नहीं', शिक्षा मंत्री के विवादित बयान पर बोले नीतीश कुमार

धार्मिक ग्रंथ रामचरितमानस को लेकर बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर द्वारा दिए विवादित बयान पर बवाल मचा है। एक तरफ जहां बीजेपी ने इस पर कड़ी आपत्ति दर्ज की है। तो वहीं संत समाज में भी भारी आक्रोश है। इस बीच बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उनके बयान से किनारा कर लिया है। उन्होंने कहा कि मुझे इसके बारे में जानकारी नहीं है। शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर से पूछकर बताएंगे।

बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर रामचरितमानस पर दिए अपने बयान पर कायम है। उन्होंने अपने बयान पर अडिग रहते हुए कहा कि रामचरितमानस में कई अच्छी बातें भी हैं। लेकिन जो गलत है उस पर आवाज उठाता रहूंगा। उन्होंने कहा कि अपमानित करने वाले दोहे हटाए जाएं।

वहीं बीजेपी का कहना है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर को तुरंत बर्खास्त करें। इसके अलावा जब उनसे बक्सर विवाद पर सवाल किया गया था। तो उन्होंने कहा कि वहां के जिलाधिकारी को कार्रवाई का निर्देश दे दिया गया है।

क्या है बक्सर मामला

बिहार के बक्सर जिले में किसान चौसा के पास बन रहे थर्मल पावर प्लांट से जुड़ी जलापूर्ति पाइप लाइन और रेलवे लाइन के लिए जमीन अधिग्रहण के मुआवजे के मसले पर प्रदर्शन कर रहे थे। विरोध में किसानों ने निर्माणाधीन बिजलीघर के मुख्य द्वार पर ताला जड़ दिया था। इसका तब तो प्रशासन ने कोई विरोध नहीं किया, लेकिन रात होते ही बड़ी संख्या में पुलिस बल प्रभावित गांवों में पहुंच गया। इस दौरान कई किसानों के घर में घुसकर पुलिस ने बेरहमी से मारपीट की। इस मामले को लेकर अगले दिन किसान सड़कों पर उतर आए।

क्या कहा था बिहार के शिक्षा मंत्री ने….

बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने बुधवार को कहा कि रामायण पर आधारित एक महाकाव्य हिंदू धर्म पुस्तक रामचरितमानस समाज में नफरत फैलाती है। उनके इस दावे के बाद विवाद खड़ा हो गया। नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी के 15वें दीक्षांत समारोह में छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने रामचरितमानस और मनुस्मृति को समाज को विभाजित करने वाली पुस्तकें बताया।

उन्होंने कहा, “मनुस्मृति को क्यों जलाया गया, क्योंकि इसमें एक बड़े तबके के खिलाफ कई गालियां दी गई थीं। रामचरितमानस का विरोध क्यों किया गया और किस भाग का विरोध किया गया? निचली जाति के लोगों को शिक्षा प्राप्त करने की अनुमति नहीं थी और रामचरितमानस में कहा गया है कि निम्न जाति के लोग शिक्षा प्राप्त करने से वैसे ही जहरीले हो जाते हैं जैसे दूध पीने के बाद सांप हो जाते हैं।”

सभी सनातनियों का अपमान है – संत जगद्गुरु परमहंस

इससे पहले बिहार के शिक्षा मंत्री के विवादित बयान पर आपत्ति दर्ज करते हुए अयोध्या के संत जगद्गुरु परमहंस आचार्य ने मंत्री को पद से बर्खास्त करने की मांग की। उन्होंने कहा कि बिहार के शिक्षा मंत्री ने जिस तरह से रामचरितमानस को नफरत फैलाने वाला ग्रंथ बताया है, उससे पूरा देश आहत है, यह सभी सनातनियों का अपमान है और मैं इस बयान पर कानूनी कार्रवाई की मांग करता हूं कि उन्हें एक सप्ताह के भीतर मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया जाए।

जगद्गुरु परमहंस ने कहा कि उन्हें माफी मांगनी चाहिए, अगर ऐसा नहीं होता है, तो मैं बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर की जीभ काटने वाले को 10 करोड़ रुपये का इनाम देने की घोषणा करता हूं। उन्होंने कहा, “इस तरह की टिप्पणी को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। रामचरितमानस जोड़ने वाला ग्रंथ है, तोड़ने वाला नहीं।

रामचरितमानस मानवता को बढ़ावा देने वाला ग्रंथ है। यह भारतीय संस्कृति का स्वरूप है, यह हमारे देश का गौरव है। रामचरितमानस पर इस तरह की टिप्पणी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

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