रोहित की पुण्यतिथि को लेकर लखनऊ यूनिवर्सिटी के छात्र संगठन आमने-सामने, हुई मारपीट

रोहित की पुण्यतिथि को लेकर लखनऊ यूनिवर्सिटी के छात्र संगठन आमने-सामने, हुई मारपीट
रोहित की पुण्यतिथि को लेकर लखनऊ यूनिवर्सिटी के छात्र संगठन आमने-सामने, हुई मारपीट

लखनऊ विश्वविद्यालय में रोहित वेमुला की पुण्यतिथि मनाने को लेकर वामपंथी छात्र संगठन और एबीवीपी कार्यकर्ता आमने-सामने आ गए। इस दौरान दोनों संगठनों के छात्रों के बीच धक्कामुक्की हो गई। बताया जा रहा है कि दोनों गुटों के बीच रोहित वेमुला की पुण्यतिथि को लेकर जमकर बवाल हुआ है। कैंपस रोहित वेमुला अमर रहे और जय श्री राम के नारों से गूंज उठा।

वहीं मामले की जानकारी लगते ही बड़ी संख्या में पुलिस कैंपस में पहुंची, लेकिन दोनों गुट एक दूसरे के खिलाफ नारेबाजी करते रहे। इस दौरान पुलिस ने दोनों गुटों में समझौता कराने का प्रयास किया। हालांकि पुलिस और प्रॉक्टर राकेश द्विवेदी के बीचबचाव करने के बाद मामला शांत हुआ।

लखनऊ यूनिवर्सिटी को जेएनयू नहीं बनने देंगे

आइसा नेताओं का कहना है कि उनकी ओर से किसी भी प्रकार से उकसावे वाली कोई कार्रवाई नहीं की गई। एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने उनके कार्यक्रम में खलल डालने की कोशिश की, जिससे विवाद पैदा हुआ। उधर एबीवीपी के नेता और कार्यकर्ता भी सड़क पर ही बैठ गए और नारेबाजी करने लगे।

एबीवीपी समर्थक छात्रों का कहना है कि हम लखनऊ विश्वविद्यालय को जेएनयू नहीं बनने देंगे और जय श्रीराम के नारे लगाए। पुलिस को उन्हें वहां से हटाने में भारी मशक्कत करनी पड़ी। वहीं छात्रों का आरोप है कि पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज किया है, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने लाठीचार्ज से इंकार कर दिया है।

लखनऊ यूनिवर्सिटी के प्रॉक्टर ने नहीं दी पुण्यतिथि मनाने की अनुमति

प्राप्त जानकारी के मुताबिक प्रॉक्टर राकेश द्विवेदी ने एलयू परिसर में पुण्यतिथि मनाने की अनुमति नहीं दी गई थी। इसके बाद भी आइसा के छात्रों ने गेट नंबर-5 से मार्च निकाला, साथ ही बिना अनुमति परिसर के अंदर जबरदस्ती पुण्यतिथि मनाने की कोशिश की, जिसके बाद हंगामा हुआ। एबीवीपी के छात्रों ने इसका विरोध किया। जिसके बाद एक-दूसरे के खिलाफ जमकर नारेबाजी शुरू हो गई।

यूनिवर्सिटी हॉस्टल में दी थी रोहित ने जान

बता दें कि रोहित वेमुला हैदराबाद सेंट्रल विश्वविद्यालय में पीएचडी का छात्र था। 26 वर्षीय रोहित वेमुला ने कथित तौर पर 17 जनवरी 2016 को यूनिवर्सिटी के हॉस्टल के एक कमरे में फांसी लगाकर अपनी जान दे दी थी। वे यूनिवर्सिटी में अंबेडकर स्टूडेंट्स एसोसिएशन का सदस्य था। छात्रों का एक बड़ा हिस्सा उसकी आत्महत्या को संस्थागत हत्या मानता है। उसकी आत्महत्या का मामला लंबे वक़्त तक सुर्खियों में छाया रहा था और आज भी इस बारे में चर्चा होती है।

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