Monday, October 14, 2024
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जदयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव का निधन, 75 साल की उम्र में ली आखिरी सांस

जनता दल यूनाइटेड के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव नहीं रहे। गुरुवार रात गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल में उनका निधन हो गया। वह 75 साल के थे। सांस लेने में तकलीफ होने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनकी बेटी ने निधन की जानकारी दी। उनका पार्थिव शरीर दिल्ली के छतरपुर स्थित उनके निवास स्थान पर रखा गया, जहां लोग उनके अंतिम दर्शन कर सकेंगे।

शरद यादव की बेटी शुभाषिनी यादव ने ट्वीट करके पिता के निधन की जानकारी दी। शुभाषिनी ने अपने ट्वीट में लिखा, ‘पापा नहीं रहे। सूत्रों के मुताबिक, अपने अंतिम समय में वे बीमार चल रहे थे और उनका इलाज गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल में चल रहा था। शरद यादव के निधन से पूरे राजनीतिक जगत में शोक की लहर दौड़ गई है।

फोर्टिस अस्पताल ने जारी किया बयान

गुड़गांव के फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट ने बयान जारी करते हुए कहा, शरद यादव को बेहोशी की हालत में गुरुग्राम के फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट में इमरजेंसी में लाया गया था। जांच करने पर उनके शरीर में कोई हलचल नहीं थी और रक्तचाप भी मापने योग्य नहीं था। एसीएलएस प्रोटोकॉल के तहत उनका सीपीआर किया गया। तमाम कोशिशों के बावजूद उन्हें सामान्य नहीं किया जा सका और रात 10 बजकर 19 मिनट पर उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। हम उनके परिवार के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करना चाहते हैं।

मध्य प्रदेश में पैतृक गांव में होगा शरद यादव का अंतिम संस्कार

शरद यादव के दामाद राज कमल राव ने कहा, उन्हें कार्डियक अरेस्ट हुआ था। हम उन्हें अस्पताल लेकर गए। वहां पहुंचने के बाद डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। उन्हें किडनी की समस्या थी और डायलिसिस पर थे। उनके पार्थिव शरीर को मध्य प्रदेश में उनके पैतृक गांव ले जाया जाएगा। जहां अंतिम संस्कार किया जाएगा।

राहुल गाँधी पहुंचे शरद यादव के घर

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आज सुबह उनके घर पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है। राहुल गांधी शरद यादव के परिजनों से भी मिले। शरद यादव की बेटी और कांग्रेस नेता सुभाषिनी राज राव राहुल गांधी से गले मिलकर फूट-फूटकर रो रही थी। राहुल गांधी उन्हें संभालते हुए दिखे।

शरद यादव ने राहुल को राजनीति में बहुत कुछ सिखाया

राहुल गांधी ने कहा, “मैंने शरद यादव जी से राजनीति के बारे में बहुत कुछ सीखा है। आज उनके निधन ने मुझे दुखी कर दिया है। मेरी दादी के साथ उनकी काफी राजनीतिक लड़ाई हुई थी। मगर उनके बीच सम्मान का रिश्ता था। उन्होंने मुझे जो बताया, वो रिश्ते की शुरुआत थी। राजनीति के बारे में मैंने उनसे बहुत सीखा है। शरद यादव जी नहीं रहें। उन्होंने राजनीति में अपनी इज्जत बनाएं रखी क्योंकि राजनीति में सम्मान खोना बहुत आसान होता है।

पीएम मोदी ने जताया दुःख

उनके देहांत पर पीएम मोदी ने दुख जताया। उन्होंने कहा कि शरद यादव के निधन से बहुत दुख हुआ। अपने लंबे सार्वजनिक जीवन में उन्होंने खुद को सांसद और मंत्री के रूप में प्रतिष्ठित किया। वे डॉ. लोहिया के आदर्शों से काफी प्रभावित थे। मैं हमेशा हमारी बातचीत को संजो कर रखूंगा। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदनाएं।

लालू यादव हुए भावुक

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने सिंगापुर से एक वीडियो संदेश में शरद यादव के निधन पर शोक व्यक्त किया। दिवंगत नेता के लिए ट्विटर पर एक वीडियो संदेश पोस्ट करते हुए लालू यादव भावुक हो गए। लालू यादव इस समय सिंगापुर में अपनी किडनी का इलाज़ करा रहे है।

एक प्रभावी आवाज खामोश हो गई – राजनाथ

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी दिग्गज राजनेता के निधन पर शोक जताया। उन्होंने कहा कि पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं देश के बड़े वरिष्ठ नेता शरद यादव के निधन से मुझे गहरी वेदना की अनुभूति हुई है। अपने लंबे राजनीतिक जीवन में उन्होंने हमेशा समाज के कमजोर वर्गों की समस्याओं को पुरजोर तरीके से उठाया। आपातकाल के दौरान लोकतंत्र की रक्षा के लिए भी उन्होंने काफी संघर्ष किया। उनके निधन से भारतीय राजनीति की एक प्रभावी आवाज खामोश हो गई है।

समानता की राजनीति को मजबूत किया – खरगे

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि देश की समाजवादी धारा के वरिष्ठ नेता, जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव के निधन से दुःखी हूं। एक पूर्व केंद्रीय मंत्री व दशकों तक एक उत्कृष्ट सांसद के तौर पर देश सेवा का कार्य कर उन्होंने समानता की राजनीति को मजबूत किया। उनके परिवार एवं समर्थकों को मेरी गहरी संवेदनाएं।

नितिन गडकरी ने दी श्रद्धांजलि

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी ट्वीट कर शरद यादव को याद किया। उन्होंने लिखा- वरिष्ठ नेता शरद यादव जी को मेरी भावभीनी श्रद्धांजलि। शरद जी मेरे अच्छे मित्र थे। वे संघर्षशील और गरीबों के हितों के लिए राजनीति करने वाले नेता थे, जयप्रकाश जी के नेतृत्व में इमरजेंसी के खिलाफ और उसके बाद जनता पार्टी में उनकी अहम भूमिका रही है।

ममता बनर्जी ने जताया शोक

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शरद यादव के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि उनकी विरासत चलती रहेगी। यादव को एक कद्दावर राजनेता बताते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि वह एक बेहद सम्मानित सहयोगी थे। टीएमसी प्रमुख ने ट्वीट किया कि श्री शरद यादव के निधन के बारे में सुनकर मुझे दुख हुआ है। एक दिग्गज राजनेता और बेहद सम्मानित सहयोगी, उनकी विरासत जीवित रहेगी। मैं प्रार्थना करती हूं कि उनके परिवार और अनुयायियों को दुख की इस घड़ी में धैर्य और शक्ति मिले।

परिवार में कितने हैं सदस्य

शरद यादव का जन्म साल 1947 में मध्य प्रदेश के होशंगाबाद में हुआ था। उन्होंने 15 फरवरी 1989 को शादी की थी। शरद यादव की पत्नी का नाम सुभाषिनी राज राव हैं। उनके परिवार में उनकी पत्नी, एक बेटा और एक बेटी है। उनके बेटे का नाम शांतनु बुंदेला और बेटी का नाम शुभाषिनी राजा राव हैं। उनके बेटे शांतनु ने अपनी पोस्ट ग्रेजुएशन यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन से की है।

शरद यादव की बेटी राजनीति का भी हिस्सा रह चुकी हैं। उन्होंने साल 2020 में बिहार के विधानसभा के चुनाव होने से पहले भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी से जुड़ी थीं। सुभाषिनी ने आरजेडी के टिकट पर बिहारीगंज विधानसभा सीट से चुनाव भी लड़ा था। लेकिन वोट न मिल पाने की वजह से वह इस सीट से चुनाव हार गई थीं।

तीन राज्यों में सांसद रह चुके थे शरद यादव

बिहार की राजनीति में शरद यादव ने अपनी एक अलग पहचान बनाई हुई थी। उनकी समाजवाद वाली राजनीति ने लोगों को उनकी ओर बांधे रखा था। समाजवाद की राजनीति के आधार पर ही शरद यादव बिहार में लोकप्रिय नेता बने थे। शरद यादव सुलझे और ईमानदार छवि के नेता थे । वे देश में पहले ऐसे सांसद थे जिन्होंने तीन राज्यों में सांसद पद संभाला था। शरद यादव अपने गृह क्षेत्र जबलपुर लोकसभा से 1974 और 1977 में दो बार जीत दर्ज कर सांसद बने थे।

तीसरी बार शरद यादव ने 1989 में उत्तर प्रदेश की बदायूं लोकसभा सीट से जीत दर्ज की थी। वह बीपी सिंह की सरकार में भी मंत्री भी बने थे। हालांकि बंदायू से जीत के बाद शरद यादव का संसदीय क्षेत्र बिहार का मधेपुरा रहा जहां से वे चार बार सांसद रहे। वैसे तो वह मध्य प्रदेश के रहने वाले थे। लेकिन शरद यादव ने बिहार में एक अलग पहचान बनाई थी।

साल 1974 में रखा सक्रिय राजनीति में कदम

शरद यादव अपनी पढ़ाई के दौरान से ही राजनीति में दिलचस्पी रखते थे और उन्होंने तभी राजनीति में आने का मन बना लिया था। उन्होंने 1971 में इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी। वह डॉ राम मनोहर लोहिया के विचारों से काफी प्रेरित थे। यही वजह है कि शरद यादव सक्रिय युवा नेता के तौर पर कई आंदोलनों से जुड़े थे। बता दें कि शरद यादव को MISA के तहत 1969-70, 1972 और 1975 में हिरासत में लिया गया था। शरद यादव ने सक्रिय राजनीति में 1974 में कदम रखा था।

जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके थे

शरद यादव जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुके थे। उनका नाम देश के बड़े समाजवादी नेताओं में शुमार किया जाता था। उनके करीबियों के मुताबिक, शरद यादव का राजनीतिक कद इतना ऊंचा था कि जब वे बोलते थे तो पूरा देश सुनता था। मंत्री रहे हों या विपक्ष के सांसद, उनके सामने कभी कोई ऐसा सवाल नहीं आया जिसका जवाब उन्हें नहीं सूझा हो। उनका जवाब सुनकर प्रश्न पूछने वाले चुप रह जाया करते थे।

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