1928 में भौतिक वैज्ञानिक ने एक समीकरण लिखा जिसने क्वांटम सिद्धांत और विशेष सापेक्षता को एक सापेक्ष गति से चलने वाले इलेक्ट्रॉन के व्यवहार का उल्लेख किया । यही वह समीकरण है, जिसने दुनिया में वैज्ञानिकों के लिए एक नई क्रांति ला दी। यही वो समीकरण था जिसने 1933 में ब्रिटिश भौतिक वैज्ञानिक को नोबेल पुरस्कार तक दिलाया था।
लेकिन उस समीकरण ने एक बड़ी समस्या खड़ी कर दी। वो समस्या थी,दो संभावित समाधानों की। जैसे की एक समीकरण x2 = 4 के दो संभावित समाधान हो सकते हैं (x = 2 या x = -2), ब्रिटिश भौतिक वैज्ञानिक पॉल डिराक के समीकरण के भी दो समाधान हो सकते हैं। जैसे एक के लिए सकारात्मक ऊर्जा वाले इलेक्ट्रॉन, और दूसरे के लिए नकारात्मक ऊर्जा वाले इलेक्ट्रॉन। लेकिन भौतिकी शास्त्रीय (और सामान्य ज्ञान) ने तय किया है कि एक कण की ऊर्जा हमेशा एक सकारात्मक संख्या के लिए ही निश्चित होनी चाहिए।
भौतिक वैज्ञानिक पॉल डिराक ने समीकरण की व्याख्या इस अर्थ में की, के प्रत्येक कण के लिए एक संगत प्रतिकण मौजूद होता है। जो कण से बिल्कुल मेल खाता है। लेकिन एक दूसरे के खिलाफ काम करते हुए। भौतिक वैज्ञानिक पॉल डिराक ने एक उदाहरण के लिए इलेक्ट्रॉन के लिए एक “एंटीइलेक्ट्रॉन” या “पॉज़िट्रॉन” होना चाहिए। जो हर तरह से समान हो लेकिन एक सकारात्मक विद्युत आवेश के साथ काम करते हुए हो।
भौतिक वैज्ञानिक पॉल डिराक ने जुटाई अहम जानकारी
ब्रिटिश वैज्ञानिक पॉल डिराक की इस अहम जानकारी ने संपूर्ण आकाशगंगाओं और ब्रह्मांडों के एंटीमेटल से बने होने की सम्भावनाओ को खोल दिया। परन्तु जब मेटल और एंटीमेटल एक दूसरे के संपर्क में आते हैं। तो वे नष्ट हो जाते हैं और ऊर्जा की एक चमक के साथ गायब हो जाते हैं। वही बिग बैंग को समान मात्रा में पदार्थ और एंटीमेटल का निर्माण करना चाहिए । तो आखिर अब सवाल ये उठता है कि ब्रह्मांड में एंटीमेटल से कहीं ज्यादा मेटल क्यों है ?
सीईआरएन में भौतिक विज्ञानी प्रयोगों में अध्ययन करने के लिए प्रतिपदार्थ बनते हैं। एक शुरुआती बिंदु एंटीप्रोटोन डीसेलेरेटर है। जो एंटीप्रोटोन को धीमा कर देता है। ताकि भौतिक वैज्ञानिक उनके गुणों की जांच कर सकें।
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