Saturday, November 23, 2024
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Covaxin Me Gaye Ke Bachhde Ke Serum Ka Upyog Hua Hai Ya Nahi , Aasaan Bhasha Me Samajhiye

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भारत बायोटेक द्वारा कोवैक्सिन के निर्माण में नवजात बछड़े के सीरम का उपयोग किया गया है। विकास पाटनी ने यह जानकारी सूचना के अधिकार के तहत सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (CDSCO) से प्राप्त की। जिसको लेकर हर जगह इतना बवाल मच गया है कि सरकार तथा भारत बायोटेक, दोनों को ही सफाई पेश करनी पड़ी।

कांग्रेस के नेशनल कोऑर्डिनेटर गौरव पांधी के ट्वीट के बाद से यह मामला चर्चा में बना हुआ है। उन्होंने आरटीआई के जवाब में मिले डॉक्यूमेंट शेयर किए। पांधी ने कहा, ‘नरेंद्र मोदी सरकार ने स्वीकार लिया है कि भारत बायोटेक की वैक्सीन में गाय के बछड़े का सीरम शामिल है। जोकि बहुत बुरा है। उन्हें यह जानकारी पहले ही लोगों को दे देनी चाहिए थी।’

इस बात का जवाब देने के लिए बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा सामने आए तथा उन्होंने कहा कि कांग्रेस द्वारा लोगों को भ्रमित किया जा रहा है। आइए, जानते हैं कि आखिर ये मामला है क्या , आपके सवाल तथा एक्सपर्ट के जवाब के माध्यम से..

वैक्सीन बनाने में बछड़े के सीरम का उपयोग हो रहा क्या यह बात सच है?

हां, यह एक सामान्य प्रोसेस है। भारत के लगभग सभी वैक्सीन निर्माता इसका उपयोग करते हैं। पोलियो की वैक्सीन भी इसी प्रक्रिया से बनती है।

वैक्सीन के निर्माण में वायरस को कमजोर किया जाता है। जिसके लिए अधिक मात्रा में वायरस चाहिए। वैक्सीन कंपनियां द्वारा बछड़े के सीरम का उपयोग सेल्स को विकसित करने में किया जाता हैं। इसमें वायरस को दाखिल कर दिया जाता है तथा बाद में इन वायरस को कमजोर करके वैक्सीन में लिया जाता है।

क्या जो कोवैक्सिन अभी लगवाई जा रही हैं, उसमें भी बछड़े का सीरम है?

नहीं , उस वैक्सीन में बछड़े का सीरम नहीं है। बछड़े के सीरम का उपयोग बहुत ही सीमित होता है। वैक्सीन बनाने से पूर्व सेल्स विकसित होते हैं, जिनको वायरस से इंफेक्ट कर दिया जाता है। इन्ही सेल्स के निर्माण में बछड़े के सीरम का उपयोग आवश्यक होता है।
सेल्स के विकसित होने के बाद उन्हें प्यूरीफाई किया जाता हैं। जिस दौरान सेल्स एक रासायनिक प्रक्रिया से गुजरते हैं तथा जिसके बाद उनमें बछड़े के सीरम का अंश रहने की भी कोई संभावना नहीं रहती। भारत बायोटेक के मुताबिक इस प्रक्रिया से अंतिम प्रोडक्ट अर्थात कोवैक्सिन में बछड़े का सीरम नहीं रह जाता।

क्या सीरम बनाने के लिए बछड़ों की हत्या हो रही है?

नहीं, वैज्ञानिक पहले गाय के भ्रूण का उपयोग करते रहे हैं। जिसके लिए गर्भवती गायों को मारना पड़ता था। जिस वजह से अब इस प्रक्रिया में बदलाव किया गया है। गायों को बचाने के लिए अब नवजात बछड़ों के खून का सीरम लिया जाता हैं। इसके लिए जन्म के 3 से 10 दिन के अंदर इन्हें निकाला जाता है।

फिर इसपर इतनी राजनीति तथा हल्लागुल्ला क्यों किया जा रहा है?

कांग्रेस द्वारा इस मुद्दे को लेकर सोशल मीडिया पर केंद्र सरकार पर निशाना साधा जा रहा है। उनका आरोप है कि सरकार ने यह बात छिपाई है कि कोवैक्सिन में गाय के बछड़े का ब्लड है। जिसके जवाब में बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी द्वारा कोवैक्सिन को लेकर भ्रम फैलाया जा रहा है। कांग्रेस द्वारा महापाप किया जा रहा है।

परंतु शोधकर्ताओं का कहना है कि पूरे विश्व में वैक्सीन निर्माण के प्रोसेस में बछड़े के ब्लड से सीरम निकाला जाता है। ये विषय पॉलिटिक्स का नहीं बल्कि साइंस का है। और ऐसा तो है नही कि यह कोई पहली बार हो रहा हो।

अब इस पर कंपनी तथा सरकार क्या कहना चाहती है?

सोशल मीडिया पर बवाल मचने के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय तथा भारत बायोटेक ने अपना स्पष्टीकरण जारी किया। स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि कांग्रेस द्वारा तथ्यों को तोड़-मरोड़कर दिखाया जा रहा है। बछड़े का सीरम का उपयोग विरो सेल्स की संख्या बढ़ाने में होता है। जिसको बढ़ाने के लिए विश्वभर में यह प्रॉसेस अपनया जाता है। सिर्फ कोविड ही नहीं बल्कि पोलियो, रेबीज तथा इनफ्लुएंजा की वैक्सीन भी इसी प्रक्रिया से बनती है।

इन विरो सेल्स को पानी, केमिकल्स तथा अन्य प्रोसेस द्वारा साफ किया जाता है। इसको नवजात बछड़े के सीरम से मुक्त कर दिया जाता है। जिसके बाद ही विरो सेल्स को वायरल ग्रोथ के लिए कोरोना वायरस से इंफेक्ट किया जाता है। इस कारण से अंतिम प्रोडक्ट यानी कोवैक्सिन में बछड़े का सीरम नहीं होता। वैक्सीन के अंतिम प्रोडक्ट में इनग्रेडिएंट के तौर पर यह सम्मिलित नहीं होता।

Written By : Aarti

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