Covaxin Me Ho Raha Gaye Ke Bachhde Ke Serum Ka Istemal , Research Me Kiya Gaya Daava , kya covaxin me gaye ke bachhde ka syrum use ho raha hai , coe child syrum in covaxin corona vaccine
कोवैक्सिन के निर्माण में गाय के बछड़े के सीरम का उपयोग किया जाता है। जिसके लिए बीस दिनों से कम दिन के बछड़े की हत्या कर दी जाती है। ऐसा दावा बुधवार को कांग्रेस के नेशनल कॉर्डिनेटर गौरव पांधी ने द्वारा किया गया है। पांधी ने एक आरटीआई के जवाब में प्राप्त दस्तावेज शेयर किए। जिसमें उन्होंने यह दावा किया है कि ये जवाब विकास पाटनी नामक व्यक्ति की आरटीआई पर सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन द्वारा दिया गया है। Covaxin Me Ho Raha
मोदी सरकार द्वारा दिया गया लोगों को धोखा
बछड़े के सीरम का इस्तेमाल विरो सेल्स के रिवाइवल प्रक्रिया के लिए किया जाता है। जिसका उपयोग कोवैक्सिन को बनाने में हो रहा है। पांधी ने कहना है कि मोदी सरकार द्वारा यह मान लिया गया है कि भारत बायोटेक की वैक्सीन (vaccine) में गाय के बछड़े के सीरम का इस्तेमाल हो रहा है। जोकि बहुत ही बुरा है। इस बात जानकारी को लोगों को पहले ही लोगों को बता देना चाहिए था।
रिसर्च पेपर में भी किया जा चुका है दावा
इसके पहले भी इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के रिसर्च पेपर में भी इस बात का जिक्र किया गया था कि कोवैक्सिन के निर्माण में नवजात पशु के ब्लड के सीरम का इस्तेमाल किया जाता है। इसका उपयोग पहली बार किसी वैक्सीन में नहीं किया जा रहा है। ये सभी बायोलॉजिकल रिसर्च का एक जरूरी हिस्सा होता है। जाँच में दावा किया गया था कि कोवैक्सिन बनाने के लिए नवजात बछड़े के 5 प्रतिशत से 10 प्रतिशत सीरम के साथ डलबेको के मॉडिफाइड ईगल मीडियम (DMEM) को उपयोग किया जाता है। DMEM में कई आवश्यक पोषक होते हैं, जो सेल को बांटने के लिए आवश्यक होते हैं।
भाजपा ने इस आरोप को बताया कांग्रेस का प्रोपेगेंडा
बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने कांग्रेस के इन आरोपों का खंडन करते हुए इसे उनका प्रोपेगेंडा बताया है। भारत तथा विश्व कोरोना से लड़ रहा है, परंतु कांग्रेस पार्टी वैक्सीन ड्राइव में भ्रम फैला रही है। कांग्रेस कोवैक्सिन में गाय के बछड़े का ब्लड होने की बात कर रही है। इस बात पर हेल्थ मिनिस्ट्री का कहना है कि कोवैक्सिन में गाय के बछड़े का सीरम अथवा ब्लड नहीं है।
नहीं होता बछड़े के सीरम का इस्तेमाल – स्वास्थ्य मंत्रालय ने पेश की सफाई
कांग्रेस नेता द्वारा लगाए गए आरोपों के बाद अब स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसपर सफाई पेश की है। मंत्रालय द्वारा बयान जारी करके कहा गया है कि सोशल मीडिया पर कोवैक्सिन के बारे में जो जानकारी शेयर की जा रही है वह गलत है । पोस्ट में तथ्यों को फेर-बदल करके पेश किया गया है। नवजात बछड़े के सीरम का इस्तेमाल केवल वेरो सेल्स को तैयार करने में किया जाता है, जो बाद में स्वतः नष्ट हो जाते हैं। लास्ट टाइम में जब वैक्सीन का प्रोडक्शन होता है, तब इसका इस्तेमाल नहीं किया जाता है।
गर्भवती गाय के भ्रूण से लेना पड़ता था सीरम
पहले वैक्सीन बनाने के लिए गर्भवती गाय के भ्रूण का सीरम उपयोग किया जाता था। जिसके उसकी हत्या की जाती थी। फिर भ्रूण से खून निकालकर लैब में भेजा दिया जाता था। लैब में खून से सीरम अलग किया जाता था। इस प्रक्रिया में पशुओं के साथ निर्दयता देखने के पश्चात वैज्ञानिकों ने नवजात बछड़ों का सीरम निकालना स्टार्ट कर दिया। अब तीन से लेकर बीस दिन तक के बछड़े के खून से सीरम निकालकर उसे इस्तेमाल में लाया जाता है।
इस्तेमाल होता है हॉर्सशू क्रैब का नीला खून
घोड़े के पैरों के खुर के जैसे दिखने वाले जीव को हॉर्सशू क्रैब कहा जाता है। 450 मिलियन यानी की 45 करोड़ वर्ष से अमेरिका तथा साउथ एशिया के तटों पर मिलने वाले इस जीव के ब्लड का उपयोग मेडिसिन में किया जाता है। हॉर्सशू क्रैब का ब्लड कोरोना की वैक्सीन बनाने के काम भी आ रहा है। इनका नीला खून यह सुनिश्चित करने में सहायता करता है कि कहीं ड्रग में कोई डेंजरस बैक्टीरिया तो नहीं है।
लिविंग फॉसिल कहलाते है हॉर्सशू क्रैब
हॉर्सशू क्रैब को लिविंग फॉसिल मतलब जीवित खनिज भी कहा जाता है। क्योंकि 45 करोड़ वर्षों के दौरान, धरती पर आई जिन आपदाओं से डायनासोर नही बचे, उन्हें झेलकर हॉर्सशू क्रैब आज भी जीवित हैं। इसीलिए इनको प्राचीन इम्यून सिस्टम वाला जीव भी बोला जाता है।
Written By : Aarti
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