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40 Saal Ke Vyakti Ke Liye 85 Saal Ke Buzurg Ne Chhoda Bed
कोरोना की इस दूसरी लहर की मारामारी के बीच जहां लोगों को अस्पतालों में बेड दवाइयां और ऑक्सीजन ना मिल पाने की वजह से अपनी जान गंवानी पड़ रही है और इसके लिए हाहाकार मचा हुआ है तो वहीं जिंदादिल लोग ऐसे हैं जो कुछ ऐसे काम कर रहे हैं जिन्हें देखकर यह सुनकर हमारा सर गर्व से ऊंचा हो जाता है। 40 Saal Ke Vyakti
जी हां जहां लोग बेड ऑक्सीजन और दवाइयों के लिए तड़प रहे हैं तो वहीं महाराष्ट्र के नागपुर से एक ऐसे जिंदादिली की खबर हमारे सामने आई है जिसमें हमें 50 साल के नारायण भाऊराव दाभाड़कर के हौसले को नमन करने पर मजबूर कर दिया है।
महाराष्ट्र के नागपुर के 50 साल के बुजुर्ग नारायण भाव राव ने जिंदादिली और मदद की ऐसी मिसाल पेश की है जिसे हम हमेशा याद रखेंगे नारायण कोरोना से ग्रसित होने के चलते अस्पताल में भर्ती थे जहां एक महिला 40 साल के अपने पति को लेकर अस्पताल पहुंची लेकिन अस्पताल वालों ने बेड ना होने की वजह से भर्ती करने से इंकार कर दिया जिसके बाद महिला डॉक्टर और स्टाफ के सामने गिड़गिड़ाने लगी।
जब अस्पताल में भर्ती नारायण ने यह सब देखा तो उन्होंने उस महिला के पति को अपना बैग देने के लिए अस्पताल प्रशासन से गुजारिश की जिसके लिए उन्होंने कहा कि, “मैंने अपनी जिंदगी जी ली है मेरी उम्र 85 साल है और इस महिला का पति युवा है इस पर परिवार की जिम्मेदारी है इसलिए मैं मेरा बेड इसे देना चाहता हूं।”
अस्पताल छोड़ने के 3 दिन बाद ही नारायण का हो गया निधन
40 Saal Ke Vyakti
नारायण भाऊ राव ने जिंदादिली की मिसाल तो हम सबके सामने पेश कर दी और अस्पताल प्रशासन से गुजारिश करने के बाद अपना बेड महिला के 40 साल के पति को दे दिया जिसके लिए अस्पताल प्रशासन ने उनसे कागज पर राजीनामा भी लिखवा लिया ताकि अगर कुछ हो तो उसमें अस्पताल प्रशासन की जिम्मेदारी ना रहे।
यह सब होने के बाद जब नारायण अपने घर वापस लौट आए तो उनकी तबीयत दिन पर दिन बिगड़ती गई और अस्पताल से आने के 3 दिन बाद ही उनका निधन हो गया।
आपको बता दें कि नारायण को कुछ दिन पहले कोरोना हुआ था और उनका ऑक्सीजन लेवल 60 से नीचे गिर गया था 40 Saal Ke Vyakti
जिसके बाद उनकी दामाद और बेटी ने उन्हें इंदिरा गांधी शासकीय अस्पताल में भर्ती कराया था जहां कड़ी मशक्कत के बाद उन्हें बेड मिला था लेकिन नारायण ने अपनी चिंता ना करते हुए 40 साल के व्यक्ति को अपना खुशी खुशी दे दिया और खुद अस्पताल से घर लौट आए।
नारायण की यह जिंदादिली और बेफिक्री इस महामारी के कठिन समय में हम सबके सामने एक मिसाल पेश करती है और साथ ही हमें हौसला देती है कि चाहे कुछ भी हो जाए हमें निराश नहीं होना चाहिए और हमेशा दूसरों की मदद के लिए आगे रहना चाहिए। क्योंकि नारायण ने अपनी जिंदगी की फिक्र ना करते हुए युवा की जिंदगी के बारे में और उसके परिवार के बारे में सोचते हुए अपना बेड उसको दे दिया।
बच्चों से भी नारायण को था खास प्यार
40 Saal Ke Vyakti
नारायण सिर्फ अपनी जिंदादिली के लिए ही नहीं जाने जाएंगे उनके परिजन में से एक व्यक्ति ने बताया कि नारायण को बच्चों से खास प्यार था और वह अधिकतर बच्चों में चॉकलेट बांटा करते थे इसलिए बच्चे उन्हें चॉकलेट चाचा के नाम से भी बुलाते थे और चॉकलेट की वही मिठास उनके जीवन में भी देखने को मिलती थी जिस वजह से ही उन्होंने अपने अंतिम समय में भी मदद की मिसाल पेश कर दी। 40 Saal Ke
Written By : Shruti Dixit
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