Saturday, November 23, 2024
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अब मायानगरी में होगा खेला? आज से मुंबई में ममता का डेरा

डिजिटल डेस्क  : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री आज यानी 30 नवंबर से तीन दिवसीय दौरे पर मुंबई में रहेंगी और इस दौरान वह मायानगरी में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार के अलावा महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से भी मुलाकात करेंगी।  ममता एक दिसंबर को मुंबई में उद्योगपतियों से मुलाकात करेंगी और उन्हें अगले साल अप्रैल में होने वाले बंगाल ग्लोबल बिजनेस समिट (बंगाल वैश्विक कारोबारी सम्मेलन) में आमंत्रित करेंगी।

 तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि ममता बनर्जी आज से मुंबई के तीन दिवसीय दौरे पर होंगी। वह राकांपा प्रमुख शरद पवार और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के साथ बैठक करेंगी। मुख्यमंत्री का लक्ष्य राज्य में निवेश आकर्षित करना भी है। गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल की विभिन्न मांगों को लेकर पिछले सप्ताह ममता बनर्जी ने दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी।

 ममता बनर्जी की उद्धव ठाकरे और शरद पवार के संग मुलाकात ऐसे वक्त में होने वाली है, जब टीएमसी और कांग्रेस का झगड़ा जगजाहिर हो चुका है। शरद पवार और उद्धव ठाकरे महा विकास अघाड़ी गठबंधन में कांग्रेस के गठबंधन पार्टनर हैं। यानी ममता एमवीए के तीन साथियों में से दो से ही मुलाकात करेंगी। इससे पहले जब ममता दिल्ली दौरे पर आईं थीं तो उनकीक मौजूदगी में कीर्ति आजाद से लेकर कई दिगग्ज नेता टीएमसी में शामिल हुए थे, अब जब वह मुंबई दौरे पर जा रही हैं तो ऐसे में वहां भी इसी तरह के खेला होने की उम्मीद है।

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इसलिये भी बैठक को माना जा रहा महत्वपूर्ण

 ममता की बैठक इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि तृणमूल देश में 2024 के आम चुनावों से पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ विपक्षी दलों को एकजुट करने के प्रयासों के खुद का दायरा राष्ट्रीय करना चाहती है। कांग्रेस विपक्षी दलों के खेमे का नेतृत्व करना चाहती है। यही वजह है कि टीएमसी बंगाल से बाहर निकलकर अब अन्य राज्यों में अपनी स्थिति मजबूत करने में जुट गई है। इधर, संसद में भी टीएमसी ने कांग्रेस से दूरी बनाए रखी। तृणमूल सोमवार को संसद के शीतकालीन सत्र से पहले कांग्रेस द्वारा बुलाई गई विपक्षी नेताओं की बैठक में शामिल नहीं हुई और संसद भवन के अंदर अपना अलग विरोध प्रदर्शन किया, जिसमें केंद्र से तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग की गई। कांग्रेस ने भी इसी तरह का विरोध किया, जिसका नेतृत्व पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने किया।

 

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