वक्फ संशोधन कानून को लेकर आज फिर से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। आपको बता दे कि इस दौरान केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम राहत मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल वक्फ कानून पर स्टे लगाने से इनकार कर दिया है। देश के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, जस्टिस पीवी संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने इस मामले पर सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा अगले आदेश तक वक्फ में कोई नई नियुक्ति नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर अंतरिम रोक लगा दी है। बता दें कि वक्फ कानून के खिलाफ 70 से ज्यादा याचिकाएं कोर्ट में दायर की गई है।
जवाब देने के लिए 7 दिन का वक्त
भारत सरकार का पक्ष रखते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार महता ने एक सप्ताह का समय मांगा है। शीर्ष अदालत ने अपने अंतरिम आदेश में कहा कि सुनवाई के दौरान एसजी तुषार मेहता ने कहा कि प्रतिवादी 7 दिनों के भीतर एक संक्षिप्त जवाब दाखिल करना चाहते हैं और आश्वासन दिया कि अगली तारीख तक 2025 अधिनियम के तहत बोर्ड और परिषदों में कोई नियुक्ति नहीं होगी। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि अधिसूचना या राजपत्रित द्वारा पहले से घोषित यूजर्स द्वारा वक्फ सहित वक्फों की स्थिति में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। जवाब 7 दिनों के भीतर दाखिल किया जाना चाहिए।
#Breaking: SC grants Union 7 days to file responses in the challenge to the #WaqfAmendmentAct 2025. In the interim, the Court directed that no appointments will be made to any Waqf Boards or Councils and the properties recognised as waqf by user before 2025 will not be impacted pic.twitter.com/9Ol92jagQr
— Supreme Court Observer (@scobserver) April 17, 2025
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश :
>> अगली सुनवाई तक वक्फ बोर्ड और परिषदों में कोई नई नियुक्ति नहीं होगी।
>> वक्फ संपत्तियों की मौजूदा स्थिति में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।
>> केंद्र सरकार को सात दिन के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया गया है।
>> सिर्फ पांच प्रमुख याचिकाकर्ता ही अगली सुनवाई में उपस्थित होंगे, बाकी याचिकाओं को या तो आवेदन के रूप में माना जाएगा या निपटाया जाएगा। अदालत ने साफ कहा कि सभी पक्ष आपस में तय करें कि उनकी पांच मुख्य आपत्तियां क्या हैं।
वही केंद्र सरकार ने इस कानून को पारदर्शिता बढ़ाने और वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन के लिए आवश्यक बताया है। हालांकि, विपक्षी दलों और धार्मिक संगठनों ने इस कानून को मुस्लिम समुदाय की धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला करार दिया है।
अगली सुनवाई में सरकार का जवाब और कोर्ट का रुख इस मामले की दिशा तय करेगा।
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