डिजिटल डेस्क : यूक्रेन को एक लाख से ज्यादा रूसी सेना ने तीन तरफ से घेर रखा है। रूसी घेराबंदी और यूक्रेन पर हमले की आशंका के बीच जिनेवा में रूस और अमेरिका के बीच चल रही वार्ता के दूसरे दिन मंगलवार को भी गतिरोध कायम था। रूसी उप विदेश मंत्री रायबाकोव ने अमेरिकी उप विदेश मंत्री वेंडी शर्मन को एक सूत्री शर्त रखी। रूस का कहना है कि अमेरिका यूक्रेन को सैन्य संगठन नाटो में शामिल नहीं करे।
रूसी सूत्रों के अनुसार वे अमेरिका के साथ स्पष्ट हल चाहते हैं। दरअसल रूस की नाटो सेनाओं को अपने दरवाजे से दूर रखना चाहता है। अमेरिका ने फिलहाल यूक्रेन को नाटो में शामिल करने के बारे में कोई वादा नहीं किया है। रूसी सेनाएं यूक्रेन को पूर्वी क्षेत्र के सोलोटी और बोगुचार, जबकि उत्तरी क्षेत्र में पोचेप से घेरे हुए हैं। सैन्य विशेषज्ञों का कहना है कि रूस लगातार यूक्रेन की सीमा पर अपना सैन्य जमावड़ा बढ़ा रहा है। अतिरिक्त सैनिक भी तैनात हैं।
भारत के पास पश्चिमी देशों-रूस में मध्यस्थता का मौका
प्रो. चार्ल्स कप्शन अभी अमेरिका के वाल्श स्कूल ऑफ फॉरेन सर्विस ऐंड डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट के प्रोफेसर हैं। उनका कहना है कि इस गतिरोध में भारत के पास पश्चिमी देशों व रूस के बीच मध्यस्थता का मौका है। अमेरिकी प्रतिबंध लगे तो रूस चीन की ओर झुक सकता है। भास्कर के रितेश शुक्ल की प्रो. कप्शन से बातचीत के मुख्य अंश…
रूस पर प्रतिबंध लगे तो चीन को ही मिलेगा फायदा
भारत को सैन्य कलपुर्जों में परेशानी
रूस पर प्रतिबंधों से भारत काे सुखोई विमान सहित अन्य सैन्य कलपुर्जे मिलने में परेशानी हो सकती है। रूस से संबंधों के हवाले से भारत गतिरोध को टालने में रोल अदा कर सकता है।
अमेरिका अभी युद्ध में शामिल नहीं होगा
यदि युद्ध की स्थिति में अमेरिका रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाता है तो चीन को इसका फायदा होगा। अमेरिका ये नहीं चाहेगा। अमेरिका सीधे युद्ध में भी शामिल नहीं होना चाहता है।
पुतिन को यूक्रेन में अब समर्थन नहीं
कभी पूर्वी यूक्रेन पुतिन समर्थक हुआ करता था। 2014 में रूस के क्रीमिया पर हमले के बाद से स्थिति बदली है। यूक्रेन की जनता अब रूस विरोधी सरकारों को चुनती आई है।
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यूरोप की कमजोर नब्ज है रूसी गैस
प्रतिबंधों की स्थिति में रूस पलटवार के रूप में यूरोप को गैस सप्लाई रोक सकता है। इससे अमेरिका के सहयोगी यूरोपीय देश प्रभावित होंगे। यूराेप को 40% गैस सप्लाई रूस ही करता है।