Friday, November 22, 2024
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Ganga Kinare Lashon Ka Dher , 500 Meter Tak Lash Hi Lash

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यूपी के कई जिलों में नदियों में शव बहाए जाने के बाद अब उन्नाव से भी खौफनाक तस्वीरें सामने आई हैं उन्नाव में गंगा नदी के किनारे रेत में कई शव दफन कर दिए गए हैं शव मिलने की सूचना मिलने के बाद इस घटना को लेकर जिला अधिकारी ने कहा हमारी टीम को गंगा नदी से दूर रेत में कई शव दफन मिले हैं अभी और शवों की तलाश की जा रही है ऐसा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी ग्रामीणों ने बताया कि घाट पर लकड़ियां ना होने से वहां की स्थिति अति भयावह है Ganga Kinare Lashon Ka Dher

जो इंतजाम कर लेता है वह तो चिता सजाता है वरना ज्यादातर शवों को रेती में दफना दे रहे हैं हालात यह है कि घाट पर अब शवों को दफनाने की जगह तक नहीं बची है इससे अंतिम संस्कार करने आने वालों को खासी दिक्कतें उठानी पड़ रही है ना लकड़ी है और ना जगह, लोगों का कहना है कि बाढ़ के दिनों में यही शव बहकर गांव के आसपास पहुंचेंगे जिससे बीमारियां फैली हुई गंगा का जल प्रदूषित होगा

उन्नाव में बक्सर घाट से कुछ ही दूरी पर बीघापुर में श्याम इंद्र रहते हैं जो बताते हैं कि अब हर रोज घाट से लाशों की को खींचकर कुत्ते उनके बस्ती तक ले जाते हैं उनका कहना है कि पहले हर दिन 8 से 10 लाशों का ही अंतिम संस्कार होता था लेकिन अब सौ से डेढ़ सौ लाशों को लेकर लोग पहुंचते हैं और दफन करके चले जाते हैं उन्होंने कहा कि आपको वहां पीपीइ किट मास्क डेड बॉडी कवर ही दिखेंगे लाशों के दफन करने के मामले में जांच शुरू हो चुकी है Ganga Kinare Lashon Ka Dher

एसडीएम ने से इसकी रिपोर्ट मांगी गई है जरूरत पड़ी तो लाशों का फिर से अंतिम संस्कार कराया जाएगा ग्रामीण क्षेत्र के लोग हाजीपुर चौकी क्षेत्र के रौतापुर घाट पर अंतिम संस्कार कराने पहुंचे हैं जहां 16 शव दोपहर तक आए जिसमें 13 शवों को ग्रामीणों ने घाट के पास खाली पड़ी रेत में दफना दिया घाट पर जगह न मिलने पर तीन शवों को करीब 200 से 300 मीटर की दूरी पर एक नए स्थान पर दफनाया गया!

शुक्लागंज घाट का हाल बताया गया था 1 दिन पहले
Ganga Kinare Lashon Ka Dher

गंगा के घाट से पहले कुछ दिन पहले उन्नाव के शुक्लागंज घाट के हालात का खुलासा किया गया था यहां भी महज 800 मीटर के दायरे में 12 सौ से ज्यादा लाशें दफन है अंतिम संस्कार के लिए लकड़ियां खरीदने की क्षमता ना होने पर लोग लाश को नदियों में बहा रहे हैं और यही गंगा का पानी लोगों के पीने में इस्तेमाल होता है जिससे लोगों का कहना है कि इसी तरह की स्थिति रही तो हम हम लोगों में भी कोरोना वायरस फैलने की संभावना हो सकती है अंतिम संस्कार करने आ रहे लोगों का कहना है कि हमें लकड़ियों से ज्यादा, लाशें दफनाना ज्यादा सस्ता पड़ रहा है

साल 1918 के स्पेनिश फ्लू का भारत पर पड़ा था कितना असर
Ganga Kinare Lashon Ka Dher

दुनिया भर में इस कोरोना महामारी की बीमारी की वजह से कोहराम मचा हुआ है दुनिया के सभी ताकतवर देश को रोना के सामने बेबस नजर आ रहे हैं साल 1918 में भी एक वायरस ने भयानक तबाही मचाई थी और इसकी भयावहता का अनुमान लगाना भी मुश्किल है स्पेनिश फ्लू नाम की इस महामारी से साल 1918 में दुनिया भर के 50 करोड़ से ज्यादा लोग संक्रमित हुए थे और करीब 2 से 5 करोड लोगों की जान चली गई थी दुनिया भर में लोगों की मौत के यह आंकड़े प्रथम विश्व युद्ध में मारे गए सैनिकों और नागरिकों की कुल संख्या से ज्यादा है

भारतीय सैनिकों को लेकर एक जहाज 29 मई 1918 को मुंबई के बंदरगाह पर पहुंचा था यह शिप मुंबई के बंदरगाह पर करीब 48 घंटे तक फंसा रहा यह समय पहले विश्वयुद्ध के समाप्ति का आखिरी दौर था और इस हिसाब से मुंबई का बंदरगाह उस समय काफी बिजी रहता था उसके बाद भी इस चिप को वहां खड़ा रहने दिया गया इसके बाद 10 जून को मुंबई बंदरगाह पर तैनात पुलिस वालों में से 7 पुलिस वालों को हॉस्पिटलाइज किया गया Ganga Kinare Lashon Ka Dher

जहां उनमें इन्फ्लूएंजा का संक्रमण मिला ये भारत में किसी बड़ी संक्रामक बीमारी का पहला हमला था स्पेनिश फ्लू का भी यह पहला मामला था यह उस समय पूरी दुनिया में सबसे तेजी से फैल रहा था मुंबई में स्पेनिश फ्लू के फैलने का खतरा बहुत ज्यादा था क्योंकि यहां पूरी दुनिया से लोग आते थे साल 1920 के अंत तक स्पेनिश फ्लू से दुनिया में 5 से 10 करोड़ लोग प्रभावित हैं

इस तरह की बीमारी पूरी दुनिया में एक साथ नहीं फैलती है यह किसी एक देश से शुरू होती है फिर वहां से दूसरे देश में लोग जाते हैं वहां संक्रमण होता है फिर वहां से तीसरे देश में लोग जाते हैं वहां संक्रमण होता है और यह कई चरणों में पूरी दुनिया में फैलता है स्पेनिश फ्लू का पहला चरण जो था वह माइल था और ऐसा लगा कि वह मौसम बदलने की वजह से होने वाली आम बीमारियों की तरह है स्पेनिश फ्लू के कारण भारत में कम से कम 12000000 लोगों ने जान गवाई थी

जब यह बीमारी तेजी से पैर पसारने लगा तो अंग्रेजों को भी समझ नहीं आया कि इस पर कैसे कंट्रोल किया जाए और मरने से लोगों को कैसे बचाया जाए यह बीमारी इतनी अजीब थी कि इसकी वजह से सबसे ज्यादा मौतें स्वस्थ लोगों की हुई थी तब भी शवों के अंतिम संस्कार के लिए जगह कम पड़ गए थे लोग शवों को नदियों के किनारे फेंक कर चले जाते थे यह वायरस आज भी हमारे बीच है और हर साल इंसानों को संक्रमित करता है

Written BY : Geeta

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