Wednesday, December 25, 2024
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Engineering Chhod Bana Kabadi , Ab Kamata Hai Itne Rupaye , Kamai Jaankar Honge Hairan

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Engineering Chhod Bana Kabadi , Ab Kamata Hai Itne Rupaye , kabadi ki kamai

कहते है न जहाँ चाह है वहां राह है।अगर हम किसी काम को दिल से करना चाहे तो हमे उसमें सफलता अवश्य मिलती है । ऐसा ही कुछ मानना है लखनऊ निवासी ओम प्रकाश प्रजापति का। ओम प्रकाश ने सिविल इंजीनयर की नौकरी छोड़कर कबाड़ का बिजनेस स्टार्ट किया। Engineering Chhod Bana Kabadi 

जिससे आज वह 70000 रुपये महीने कमा रहे है । पर कहते है न कि सफलता इतनी आसानी से नही मिलती उसके लिए जरूरत होती है मेहनत और आत्मविश्वास की । आज हम आपको बताएंगे कि प्रकाश कैसे बने सिविल इंजीनयर से ‘लखनऊ कबाड़ीवाला’।

कौन है वो शख्स और क्या है उसका इतिहास

कोरोना महामारी के कारण न जाने कितने लोगों को अपने रोजगार से हाथ धोना पड़ा है। इसकी वजह से, दुनियाभर में लोग बहुत सी परेशानियां झेल रहे हैं। परंतु कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिन्होंने आपदा को अवसर में बदलने का काम किया है । लखनऊ के 29 वर्षीय ओम प्रकाश प्रजापति भी इन्हीं लोगों में से एक हैं। 

वैसे तो ओम प्रकाश हमेशा से ही अपना कोई काम करना चाहते थे और एक आईडिया पर वह काफी समय से काम भी कर रहे थे। परंतु किसी न किसी कारण से वह नौकरी छोड़कर काम शुरू करने की हिम्मत नहीं कर पा रहे थे। उन्होंने सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया है।

डिप्लोमा पूरा होने के बाद उन्होंने कुछ समय तक लखनऊ में ही एक कंपनी में काम किया और फिर बनारस में एक कंपनी ज्वॉइन कर ली। अपना स्टार्टअप शुरू करने से पहले, वह बनारस में ही काम कर रहे थे। जहाँ उन्हें हर महीने 30 हजार रुपये मिलते थे । Engineering Chhod Bana Kabadi

वही जब कोरोना महामारी स्टार्ट हुई और देश में लॉकडाउन लग गया । तब ओम प्रकाश छुट्टी लेकर घर आए हुए थे। उन्हें पता नहीं था कि उनकी कुछ दिनों की छुट्टी महीनों में बदल जाएगी। लॉकडाउन की वजह से वह बनारस वापस नही जा पाए।

जिसके बस उन्हें लगने लगा की यही वह समय है जब उन्हें अपना बिजनेस शुरू कर देना चाहिए। उन्होंने इस बारे में परिवार में बात की और खुद को एक मौका देने की ठानी। जिसके चलते जून 2020 में, उन्होंने अपना स्टार्टअप ‘लखनऊ कबाड़ीवाला‘ के नाम से शुरू कर दिया।

उन्होंने अपना बिजनेस वेबसाइट के जरिये स्टार्ट किया। जिसपर ओम प्रकाश ने कबाड़ के लगभग 33 सामानों का मूल्य (प्राइस लिस्ट) डाला हुआ है। जिसमें अखबार, एल्यूमीनियम, तांबा, किताबें, बैटरी, कूलर, केबल, फाइबर और इलेक्ट्रॉनिक जैसे सामान शामिल हैं।

वैबसाइट पर दे सकते है जानकारी

यदि किसी को अपना कोई पुराना या खराब सामान, कबाड़ वाले को देना है तो उसके लिए यह वेबसाइट एक अच्छा विकल्प है। लोग इस वेबसाइट पर जाकर या फोन के माध्यम से, अपने सामान के बारे में जानकारी दे सकते हैं। जिसके बाद बातचीत करने के बाद, ओम प्रकाश की टीम उनके घर पहुँचती है और इलेक्ट्रॉनिक मशीन से तौल कर कबाड़ की खरीद की जाती है। Engineering Chhod Bana Kabadi

इस बारे में ओम प्रकाश बताते है कि जब उन्होंने काम की शुरुआत करने की बात की थी तब कुछ लोगों को उनका यह फैसला सही नही लगा था।उनका मानना था कि सिविल इंजीनयर की नौकरी छोड़कर ऐसा काम स्टार्ट करना सही नही है। परंतु ओमप्रकाश ने अपना मन बना लिया था ।

वह हमेशा से ही खुद का कुछ काम करना चाहते थे। इस काम में उनके परिवार ने भी उनकी पूरी मदद की। बिजनेस की शुरुआत में उन्हें एक दो बार लगा भी की शायद उन्हें अभी भी अपना फैसला बदल देना चाहिए। फिर भी उन्होंने हार नही मानी और आज वह इस मुकाम पर है।

खुद का बनाया गोदाम
Engineering Chhod Bana Kabadi

ओम प्रकाश ने अब खुद का एक गोदाम बना लिया है, जिसमें उन्होंने ज्यादा से ज्यादा खरीदा हुआ कबाड़ भरना शुरू कर दिया है । वह कबाड़ के सामान को खरीदने के बाद, इस क्षेत्र में काम करने वाले बड़े डीलर्स या रिसायक्लर्स को बेच देते है। जोकि फ़िलहाल सिर्फ लखनऊ तक ही सीमित हैं।

शहर में उनके लगभग पांच हजार ग्राहक हो गए हैं। 
वहीं उनके इस काम से तीन लोगों को रोजगार भी मिला हुआ है। वर्तमान में, ओम प्रकाश की कमाई लगभग 70 हजार रुपए प्रति महीना है। उन्हें संतोष है कि वह अब अपना काम कर रहे हैं, जो वह हमेशा से करना चाहते थे ।

अभी ओम प्रकाश और उनकी टीम केवल लखनऊ में ही काम कर रही है और वे सप्ताह में सिर्फ तीन दिन ही कबाड़ इकट्ठा करते हैं। फिर इसे अलग-अलग करके कई डीलर्स तक पहुँचाते हैं। जिसको लेकर ओम प्रकाश का कहना है कि वह पूरे सप्ताह यह काम करना चाहते है।

इसके अलावा, वह और अधिक ग्राहकों के साथ-साथ नए डीलर्स से जुड़ना चाहते हैं। उनकी योजना, पहले अपने काम को उत्तर-प्रदेश के दूसरे शहरों तक फैलाने की है। जिसके बाद वे दूसरे राज्यों के बारे में विचार करेंगे। Engineering Chhod Bana Kabadi

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