भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने लैंगिक समानता की ओर एक कदम बढ़ाते हुए महिला एवं पुरुष क्रिकेटरों को समान मैच फीस देने का फैसला किया है। बीसीसीआई के सचिव जय शाह ने इसकी घोषणा करते हुए कहा, मुझे भेदभाव से निपटने की दिशा में बीसीसीआई के पहले कदम की घोषणा करते हुए खुशी हो रही है। हम अनुबंधित क्रिकेटरों के लिए समान वेतन नीति लागू कर रहे हैं। क्रिकेट में लैंगिक समानता के एक नये युग में प्रवेश करते हुए पुरुष और महिला क्रिकेटरों दोनों के लिए मैच फीस समान होगी।
बीसीसीआई के सचिव जय शाह ने आगे कहा, “बीसीसीआई महिला क्रिकेटरों को उनके पुरुष समकक्षों के समान मैच फीस का भुगतान किया जाएगा। उन्होंने बताया कि अब भारतीय महिला खिलाड़ियों की मैच फीस भी पुरुष खिलाड़ियों के बराबर होगी। इससे पहले न्यूजीलैंड में यह नियम लागू हो चुका है। बीसीसीआई की एजीएम में हाल ही में यह फैसला लिया गया था कि महिला आईपीएल का पहला सीजन 2023 में खेला जाएगा। इसके बाद बोर्ड ने यह बड़ा फैसला लिया है। उसके इस कदम से महिला क्रिकेट में बड़ा बदलाव आएगा।
महिला क्रिकेटर की रिटेनर फीस में बदलाव नहीं
बीसीसीआई ने अनुबंधित महिला क्रिकेट खिलाड़ियों को पुरुषों के बराबर मैच फीस देने का फैसला तो कर लिया है | लेकिन, अभी भी महिला खिलाड़ियों की एनुअल रिटेनर फीस में कोई बदलाव नहीं हुआ है | फिलहाल, महिला क्रिकेटर को सबसे अधिक 50 लाख रुपये रिटेनर फीस के तौर पर मिलते हैं | यह ए-ग्रेड कहलाती है |
पहले थी कम मैच फीस
इससे पहले बीसीसीआई में पुरुष क्रिकेट टीम और महिला क्रिकेट टीम के बीच काफी फर्क था। इस नई नीति के पहले भारतीय पुरुष क्रिकेट खिलाड़ियों को महिला क्रिकेट खिलाड़ियों के मुकाबले में ज्यादा वेतन दिया जाता था। इस ऐतिहासिक फैसले के बाद पुरुष और महिला क्रिकेटरों के लिए समान मैच फीस मिलेगी। साथ ही भेदभाव को दूर करने में भी सफलता मिलेगी।
2017 से महिला क्रिकेट में आया बदलाव
2017 में आईसीसी महिला विश्व कप के फाइनल में टीम के पहुंचने के बाद से महिला क्रिकेट में लोगों की रुचि बढ़ी है। उसके बाद टीम 2020 टी20 वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुंची थी। इस साल अगस्त में टीम ने राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक हासिल किया था।
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