Sunday, December 15, 2024
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शाही जामा मस्जिद: अपील, सुनवाई और सर्वे का आदेश, साजिश है या संयोग?

 संभल में सिविल जज सीनियर डिवीजन आदित्य सिंह की अदालत ने मंगलवार को एक बड़ा आदेश दे दिया। सिविल जज आदित्य सिंह ने संभल जिले के 550 साल पुरानी एक शाही जामा मस्जिद का सर्वे कराने का आदेश दिया। कोर्ट के आदेश के बाद देर शाम सर्वे टीम मस्जिद पहुंच गई। सर्वे टीम में एडवोकेट कमिश्नर रमेश सिंह राघव के साथ डीएम राजेंद्र पेसिया, एसपी कृष्ण कुमार बिश्नोई, सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन सहित अन्य लोग मौजूद थे। मस्जिद के चारों तरफ भारी संख्या में पुलिस फोर्स तैनात थी और किसी को भी आसपास भटकने नहीं दिया जा रहा था।

संभल में सिविल जज सीनियर डिवीजन आदित्य सिंह ने शाही जामा मस्जिद का सर्वे कराने का आदेश कैलादेवी मंदिर के महंत ऋषिराज गिरि महाराज की याचिका पर दिया। महंत ऋषिराज गिरि महाराज की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के वकील विष्णु शंकर जैन कोर्ट में पेश हुए। विष्णु शंकर जैन ने दावा किया कि शाही जामा मस्जिद श्री हरिहर मंदिर है। यहीं पर भगवान विष्णु के दशावतार कल्कि का अवतार होना है।

शाही जामा मस्जिद: अपील, सुनवाई और सर्वे का आदेश
शाही जामा मस्जिद: अपील, सुनवाई और सर्वे का आदेश

शाही जामा मस्जिद का सर्वे

बता दें किशाही जामा मस्जिद का सर्वे के लिए एक कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया गया था। स्थानीय पुलिस एसडीम की मौजूदगी में देर रात जब संभल की शाही जामा मस्जिद पहुंचे तो हड़कंप मच गया। इस दौरान कोर्ट कमिश्नर भी मौजूद थे। इस आदेश के बाद स्थानीय लोगों कहना है कि एक ही दिन में यह अपील तैयार की गई और फिर उसकी उसी दिन सुवाई करते हुए सर्वे के आदेश दिए गए, जो कि गलत है।

शाही जामा मस्जिद को श्री हरिहर मंदिर बताया

बता दें कि शाही जामा मस्जिद को श्रीहरिहर मंदिर बताने को लेकर पहली बार कोई याचिका दाखिल की गई थी. याचिक पर सुनवाई करते हुए पहले ही दिन मस्जिद का सर्वे कराने का आदेश दे दिया गया. सिविल जज सीनियर डिवीजन आदित्य सिंह की अदालत ने कहा कि सर्वे से न्याय करना आसान होगा. कोर्ट के आदेश पर वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि सिविल कोर्ट से कमिश्नर सर्वे का आदेश हो गया है. वीडियो-फोटो के साथ रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया गया है.

याचिकाकर्ता महंत को मस्जिद में नहीं मिली एंट्री

वहीं, जिला प्रशासन की तरफ से पांच सदस्यीय कमेटी बनाई गई थी, जो सर्वे टीम के साथ थी। मुस्लिम पक्ष की तरफ से अदालत में कोई नहीं था। सर्वे का परवाना उन्हें रिसीव कराया गया। वकील विष्णु शंकर भी मस्जिद के भीतर सर्वे टीम के साथ गए थे, जबकि याचिकाकर्ता महंत ऋषिराज गिरि को मस्जिद में एंट्री नहीं मिली है। वे बाहर ही खड़े रहे, मस्जिद के आसपास दो सर्किल संभल और असमौली के सीओ तैनात किए गए थे।

सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने खड़े किए सवाल

शाही जामा मस्जिद सदर कोतवाली क्षेत्र के कोट पूर्वी में स्थित है। जैसे ही जामा मस्जिद में सर्वे कराने की बात पता चली, वहां पर हलचल मच गई। मुस्लिम समाज के लोग मस्जिद के पास पहुंच गए, लेकिन इस दौरान भारी संख्या में पुलिस फोर्स लगाई गई थी। लोगों को वहां से हटा दिया गया, संभल के सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने कहा कि हम अदालत के फैसले का सम्मान करते हैं। हजारों की संख्या में लोग जामा मस्जिद के पास इकट्ठा होना चाहते थे, लेकिन हमने उन्हें मना किया। कम से कम सात दिन का नोटिस मिलना चाहिए था। आज ही सुनाई हुई और आज ही सर्वे का आदेश दे दिया गया।

माहौल खराब करने की कोशिश

स्थानीय लोगों को कहना है कि कई पीढियां से यहां पर नमाज पढ़ी जा रही है। इस मस्जिद के अंदर एक पत्थर लगा हुआ है, जिस पर पूरी हिस्ट्री लिखी हुई है कि मस्जिद कब बनी और किसने इसे बनवाया। इसके बावजूद भी मस्जिद को मंदिर बताकर ऐसी हरकत करना माहौल खराब करने की कोशिश है। इलाकाई लोगों का कहना है कि पहले भी इस मस्जिद में कुछ शरारती तत्व घुसने की कोशिश कर चुके हैं। लेकिन, मामले को पुलिस और स्थानीय लोगों ने शांत कराया था।

सर्वे टीम का पूरा सहयोग किया गया- मुतवल्ली जामा मस्जिद

वहीं शाही जामा मस्जिद के मुतवल्ली एडवोकेट जफर अली ने कहा कि जमा मस्जिद का सर्वे किया गया है। करीब दो घंटे तक सर्वे किया गया, हमने सर्वे टीम का पूरा सहयोग किया। हमें उम्मीद है कि यह हमारी जामा मस्जिद है। यह 1991 प्लेस आफ वरशिप एक्ट का सीधे तौर पर उल्लंघन है। मामले पर नजर बनाए हुए हैं। कोर्ट के ऑर्डर की कॉपी लेने के बाद सभी पहलुओं पर गौर किया जाएगा। उसके बाद इसका कानूनी जवाब दिया जाएगा। शाही जामा मस्जिद का निर्माण साल 1528 में मीर हिंदू बेग के जरिए करवाया था। वह मुगल सेनापति और बाबर और हुमायूं दोनों की सेवा करने वाले एक भरोसेमंद दरबारी मेंबर थे। उन्होंने सम्राट बाबर के आदेश पर मस्जिद का काम अपने हाथ में लिया था।

जामा मस्जिद का इतिहास शताब्दियों पुराना

शाही जामा मस्जिद और दो दूसरी मस्जिदों की तामीर बाबर के समय में हुआ था। जामा मस्जिद का इतिहास कई शताब्दियों पुराना है। साउथ विंग में एक पत्थर पर इसकी तारीख के बारे में लिखा है कि रुस्तम खान दकानी ने 1657 में मस्जिद की मरम्मत की थी। उत्तरी विंग में एक समान पट्टिका 1626 में सैयद कुतुब द्वारा बनवाई गई थी। वहीं डीएम राजेंद्र पेसिया ने कहा कि जिस तरह से कोर्ट का आदेश आया, उसको देखते हुए शहर में पुलिस बल को तैनात किया गया गया, जिससे कानून-व्यवस्था न बिगड़े।

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