Friday, November 22, 2024
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2022 में कब है मकर संक्रांति, जानिए इसकी तिथि और शुभ मुहूर्त

नई दिल्ली: सनातन धर्म में मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2022) का बहुत ही महत्व है. पौष मास में जब सूर्य अपने पुत्र शनि की राशि मकर में प्रवेश करते हैं, तभी इस पर्व को मनाया जाता है. इस एक त्योहार को देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग नाम से मनाया जाता है. पंजाब में इसे लोहड़ी, केरल में पोंगल, गुजरात में उत्तरायण, उत्तराखंड में उत्तरायणी और कई स्थानों खिचड़ी के नाम में मनाया जाता है, लेकिन तमाम मान्यताओं के बाद इस त्योहार को मनाने के पीछे का तर्क एक ही रहता है और वह है सूर्य की उपासना व दान. इस बार यह शुभ तिथि 14 जनवरी दिन गुरुवार को है. इस दिन जप, तप, दान और स्नान का विशेष महत्व है.

बता दें कि सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करेंगे, तब पांच ग्रहों का संयोग बनेगा, जिसमें सूर्य, बुध, गुरु, चंद्रमा और शनि भी शामिल रहेंगे. खास बात ये है कि इस मकर संक्राति (Makar Sankranti) पर कई विशेष संयोग बन रहे हैं, जो इस पर्व को और भी शुभ बना रहे हैं. जानिए नए साल में आने वाली मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त.

मकर संक्रांति 2022 शुभ मुहूर्त
मकर संक्रांति के दिन पुण्य काल- दोपहर 02.43 से शाम 05.45 तक.
पुण्य काल की कुल अवधि- 03 घंटे 02 मिनट.
मकर संक्रांति के दिन महा पुण्यकाल- दोपहर 02.43 से 04:28 तक.
कुल अवधि – 01 घण्टा 45 मिनट.

मकर संक्रांति का महत्व 
हिंदू धर्म में मकर संक्रांति के पर्व को महत्वपूर्ण माना गया है. इस दिन पवित्र नदी में स्नान और दान का विशेष पुण्य बताया गया है. शास्त्रों में सूर्य को संसार की आत्मा माना गया है. सूर्यदेव की उपासना के लिए मकर संक्रांति का दिन उत्तम माना जाता है. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन सूर्य देव उनके पुत्र शनि देव से मिलने उनके घर जाते हैं. बता दें कि शनि मकर राशि के स्वामी हैं, इसलिए इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है. वहीं, मकर संक्रांति से ही सर्दी कम होने लगती है, यानि कि शरद ऋतु के जाने और बसंत ऋतु का आगमन शुरू हो जाता है. ऐसा कहा जाता है कि मकर संक्रांति के बाद से ही दिन लंबे रातें छोटी होने लगती हैं.

पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन भगवान आशुतोष ने भगवान श्री हरि विष्णु को आत्मज्ञान का दान दिया था. महाभारत की कथा के मुताबिक, भीष्म पितामह ने अपनी देह का त्याग मकर संक्रांति पर किया था. इसके अलावा मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन उत्तरायण के वक्त किया गया दान सौ गुना अधिक फल देता है.

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