Monday, June 16, 2025
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सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा…. ईडी तोड़ रही है सारी सीमाएं

सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु में शराब रिटेल से जुड़े सरकारी निगम तमिलनाडु स्टेट मार्केटिंग निगम (TASMAC) के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की कार्रवाई पर रोक लगा दी है। चीफ जस्टिस भूषण रामाकृष्ण गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने सुनवाई के दौरान ईडी के रवैए पर कड़ी नाराजगी जताई। बेंच ने कहा कि एजेंसी ने सभी हदें पार कर दी हैं।

तमिलनाडु सरकार का कहना था कि उसने 2014 से 2021 के बीच खुद तमिलनाडु स्टेट मार्केटिंग निगम (TASMAC) के अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ 41 एफआईआर दर्ज करवाई हैं। शराब बिक्री का लाइसेंस देने में गड़बड़ी समेत दूसरे आरोपों की जांच राज्य की एजेंसियां कर रही हैं। इस बीच प्रवर्तन निदेशालय ने मामले में केस दर्ज कर लिया। यह केस सीधे निगम के खिलाफ है।

अपने निगम को ही आरोपी बना दिया – चीफ जस्टिस

इस पर चीफ जस्टिस ने सख्त हैरानी जताई। उन्होंने कहा, ‘निगम को ही आरोपी बना दिया? ईडी सभी सीमाएं तोड़ रही है। तमिलनाडु सरकार के लिए पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और तमिलनाडु स्टेट मार्केटिंग निगम (TASMAC) के लिए पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने निगम के दफ्तर में छापे के दौरान कर्मचारियों से दुर्व्यवहार का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सभी के फोन की क्लोनिंग कर ली गई है। ईडी ने निजता के अधिकार का हनन किया।

कपिल सिब्बल और मुकुल रोहतगी ने यह भी कहा कि मामले में ईडी की कोई भूमिका नहीं थी। इस पर चीफ जस्टिस ने एक बार फिर कहा कि ईडी सारी सीमाएं तोड़ रही है। संघीय ढांचे का लिहाज नहीं किया जा रहा है। जब राज्य सरकार जांच कर रही है, तो इस तरह दखल की क्या जरूरत थी?

ईडी के पास कार्रवाई के पर्याप्त आधार

ईडी के लिए पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने मामले में 1000 करोड़ रुपए की वित्तीय गड़बड़ी का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि ईडी के पास कार्रवाई के पर्याप्त आधार हैं। इस पर कोर्ट ने उन्हें 2 सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा और साथ ही कोर्ट ने साफ किया कि फिलहाल मामले में ईडी की कार्रवाई स्थगित रहेगी।

इससे पहले 23 अप्रैल को मद्रास हाई कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार की याचिका खारिज कर दी थी। हाई कोर्ट ने तमिलनाडु स्टेट मार्केटिंग निगम (TASMAC) के खिलाफ ईडी की जांच और छापे को सही ठहराया था। कर्मचारियों से दुर्व्यवहार के आरोप भी हाई कोर्ट ने खारिज किए थे। हाई कोर्ट ने कहा था कि जानबूझकर महिला कर्मचारियों को आगे किया गया ताकि ईडी के छापे में अड़चन आए।

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