Thursday, June 19, 2025
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रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में की 0.50% की बढ़ाेत्तरी,बैंक से लोन लेना होगा महंगा

महंगाई से निपटने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने रेपो रेट में बढ़ोतरी कर दी है | भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने आज सुबह 10 बजे रेपो रेट में 0.50 फीसदी की वृद्धि का ऐलान किया | इसके साथ ही अब बैंक से लोन लेना महंगा हो जाएगा | वहीं इससे होम, कार समेत सभी लोन पर आपकी ईएमआई बढ़ जाएगी | भारतीय रिजर्व बैंक के ऐलान के बाद अब रेपो रेट बढ़कर 5.40 से बढ़कर 5.90 फीसदी हो गया है | दरअसल सभी बैंक ब्याज की दरें तय करने के लिए रेपो रेट को बतौर बेंचमार्क इस्तेमाल करते हैं |

इसलिए अगर रेपो रेट बढ़ता है तो बैंक भी लोन पर इंटरेस्ट बढ़ा देते हैं | वहीं रेपो रेट घटने पर लोन सस्ता हो जाता है | इस बार से नीतिगत दरों में वृद्धि के कारण होम लोन की दरें अब 8.55 फीसदी को पार कर जाएगी | ऐसे में लोगों के लिए घर खरीदने के लिए होम लोन महंगा हो जाएगा | बाय-मंथली बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने भारत की मौजूदा आर्थिक स्थिति पर रिपोर्ट पेश की। उन्होंने बताया कि सप्लाई चेन प्रभावित होने और जरूरी सामान की आसमान छूती कीमत ने ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी के लिए मजबूर किया है।

अमेरिकी फेड रिजर्व ने बेसिस पॉइंट्स की बढ़ोतरी 

अमेरिकी फेड रिजर्व ने ब्याज दरों में लगातार तीसरी बार 75 बेसिस पॉइंट्स की बढ़ोतरी की है। इससे रुपये पर दबाव बढ़ गया है। साथ ही खुदरा महंगाई भी अगस्त में फिर बढ़ गई है। बता दें कि पिछले महीने 5 अगस्त को आरबीआई ने रेपो रेट को आधा फीसदी बढ़ाकर 5.40 फीसदी कर दिया था। इससे पहले, 4 मई 2022 को, आरबीआई ने पॉलिसी रेपो रेट को 40 आधार अंक बढ़ाकर 4.40% करके सबको चौंका दिया था | जबकि स्थायी जमा सुविधा (SDF) दर को 4.15% और मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (MSF) रेट और बैंक रेट को 4.65% पर एडजस्ट किया था।

रेपो रेट क्या है ?

इसे आसान भाषा में ऐसे समझा जा सकता है। बैंक हमें कर्ज देते हैं और उस कर्ज पर हमें ब्याज देना पड़ता है। ठीक वैसे ही बैंकों को भी अपने रोजमर्रा के कामकाज के लिए भारी-भरकम रकम की जरूरत पड़ जाती है और वे भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से कर्ज लेते हैं। इस ऋण पर रिजर्व बैंक जिस दर से उनसे ब्याज वसूल करता है, उसे रेपो रेट कहते हैं।

रेपो रेट से आम आदमी पर क्या पड़ता है प्रभाव

जब बैंकों को कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध होगा यानी रेपो रेट कम होगा तो वो भी अपने ग्राहकों को सस्ता कर्ज दे सकते हैं। और यदि रिजर्व बैंक रेपो रेट बढ़ाएगा तो बैंकों के लिए कर्ज लेना महंगा हो जाएगा और वे अपने ग्राहकों के लिए कर्ज महंगा कर देंगे।

क्या होता है रिवर्स रेपो रेट

यह रेपो रेट से उलट होता है। बैंकों के पास जब दिन-भर के कामकाज के बाद बड़ी रकम बची रह जाती है, तो उस रकम को रिजर्व बैंक में रख देते हैं। इस रकम पर आरबीआई उन्हें ब्याज देता है। रिजर्व बैंक इस रकम पर जिस दर से ब्याज देता है, उसे रिवर्स रेपो रेट कहते हैं।

रिवर्स रेपो रेट का आम आदमी पर कैसे पड़ता है प्रभाव

जब भी बाजारों में बहुत ज्यादा नकदी दिखाई देती है | आरबीआई रिवर्स रेपो रेट बढ़ा देता है | ताकि बैंक ज्यादा ब्याज कमाने के लिए अपनी रकम उसके पास जमा करा दें। इस तरह बैंकों के कब्जे में बाजार में छोड़ने के लिए कम रकम रह जाएगी।

6% से ऊपर रहने की आशंका

आरबीआई ने अपनी मौद्रिक पॉलिसी में अनुमान लगाया है कि अगली तीन तिमाही में महंगाई दर 6.3 फीसदी से ऊपर रहने की आशंका है। आरबीआई ने रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध से सप्लाई चेन प्रभावित होने के कारण महंगाई में उछाल आने की बात कही है। आरबीआई का कहना है कि एक्साइज ड्यूटी में कटौती से आसमान छूती महंगाई से राहत मिलेगी।

विकास की रफ्तार तेज बनी रहेगी

रुपया टूटा है लेकिन दुनिया के इमर्जिंग मार्केट में इसकी सबसे अच्छी है। उन्होंने आगे कहा कि कच्चा तेल अगले 6 महीने में भारतीय बास्केट के लिए 100 डॉलर के आसपास रहेगा। इससे महंगाई में राहत मिलेगी। अगले साल तक महंगाई 5 प्रतिशत पर आ जाएगी। जीडीपी की रफ्तार बनी रहेगी।

बाजार में लौटी तेजी

रिजर्व बैंक की पॉलिसी दरों की घोषणा के बाद बाजार में तेजी दिखाई दे रही है। सेंसेक्स करीब 400 अंक उछलकर 56800 के पार निकल गया है। वहीं निफ्टी भी 100 अंकों की तेजी के साथ 16900 के स्तर के पार पहुंच गया है। ऐसे में उम्मीद है कि भारतीय शेयर बाजार में एक बार फिर से तेजी दिखाई दे सकती है।

ग्रामीण मांग में धीरे-धीरे सुधार जारी

भले ही महंगाई ने आरबीआई को ब्याज दर में बढ़ोतरी करने को मजबूर किया है लेकिन आरबीआई का मानना है कि इसका असर देश की जीडीपी ग्रोथ पर नहीं होगा। आरबीआई ने वित्त वर्ष 2023 के लिए जीडीपी ग्रोथ की दर को 7.2 फीसदी पर बरकरार रहा है। वहीं, आरबीआई ने कहा है कि एक बार फिर से ग्रामीण और शहरी मांग में सुधार देखने को मिल रहा है। यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अच्छे संकेत हैं।

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