Saturday, July 12, 2025
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नवरात्र : कन्या पूजन के साथ ही होती है बटुक पूजा

कोलकाताः आज नवरात्रों का 8ठां दिन था। हिंदू धर्म में नवरात्रि के पर्व को विशेष माना गया है। चैत्र नवरात्रि के 9 दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की विधि पूर्वक पूजा की जाती है। मान्यता है कि मां दुर्गा शक्ति की प्रतीक हैं और अपने भक्तों के सभी दुखों का दूर करती हैं। इस बार नवरात्र पूरे 9 दिन चलने वाले हैं। अक्सर ऐसा देखने में आता रहा है कि तिथि के बढ़ने या क्षय होने से नवरात्र कम या ज्यादा होते रहे हैं।

इस बार चैत्र नवरात्र पंचांग के अनुसार 2 अप्रैल से आरंभ हुए थे। 10 अप्रैल रविवार 2022 को नवरात्रि के पर्व का समापन होगा। इस दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। कुछ लोग अष्टमी व कुछ लोग नवमीं के दिन नवरात्र के व्रतों का समापन करते हैं। अष्टमी के दिन मां दुर्गा की पूजा की जाती है और नवमीं के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। इन दोनों ही दिनों में कन्या पूजन किया जाता है। कन्या पूजन के दौरान ही बटुक महाराज की भी पूजा की जाती है। बटुक महाराज कौन हैं आइए उनके बारे में कुछ जानते हैं।

नवरात्रि में बटुक पूजा

चैत्र नवरात्रि के अंतिम दिन मां सिद्धिदात्री का पूजन किया जाता है और माता रानी का स्वरूप माने जाने वाली कन्याओं के पूजन यानी कंजक खिलाते समय उनके साथ एक बालक का भी पूजन किया जाता है। बालक को बटुक भैरव का प्रतीक माना जाता है। देवी मां की पूजा के बाद भैरव की पूजा बेहद अहम मानी जाती है। भगवान श्री बटुक-भैरव बालक रूपी हैं।

भगवान भैरव के इस स्वरूप की पूजा अर्चना सभी प्रकार से लाभकारी और मनोकामनाओं को पूरा करने वाली मानी जाती है। इनकी पूजा में दैनिक नैवेद्य दिनों के अनुसार किया जाता है। इनकी पूजा दक्षिण दिशा की ओर मुख करके की जाती है। साधक को लाल या काले वस्त्र को धारण करके इनकी पूजा करनी चाहिए। इनकी पूजा के दौरान लगाए गए भोग को साधना के बाद थोड़ा सा प्रसाद के रूप में ग्रहण करें। शेष प्रसाद को कुत्तों को खिला दें। पूजा के दौरान निम्नलिखित मंत्रों का कम से कम 21 माला का जाप करें।

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ऊँ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाचतु य कुरु कुरु बटुकाय ह्रीं ऊँ

बटुक पूजा का महत्व

कन्या पूजन के समय एक बालक के पूजन का विधान है। इसे लांगूर भी बोला जाता है। ये बटुक भैरव का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि बटुक भैरव देवता ऐसे हैं जो अपने भक्तों के ऊपर बहुत जल्द प्रसन्न होते हैं और उन्हें बहुत बड़ी से बड़ी विपदाओं से बचा लेते हैं। चाहे शत्रुओं का संकट हो किसी भी ग्रह का दोष हो उसे बटुक भैरव दूर करते हैं। भगवान बटुक भैरव की पूजा करने से बुद्धि और मान-सम्मान में वृद्धि होती है।

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