Sunday, December 22, 2024
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Kisan Lagataar Kar Rahe Hain Mahapanchayat, Sarkar Agle Chunav Me Bhugtegi Anjaam – Rakesh Tikait

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किसान महापंचायत

देश में लगातार चल रहे सबसे बड़े किसान आंदोलन ने अब एक और नया मोड़ ले लिया है। 80 दिनों से लगातार दिल्ली के सिंधु बॉर्डर पर आंदोलन में बैठे किसानो ने अब देश के अलग अलग जगहों पर किसान महापंचायत करने का फैसला लिया । भारतीय किसान यूनियन नेता राकेश टिकैत का कहना है जब तक केंद्र सरकार तीनो कृषि कानून वापस नहीं ले लेती तब तक हम किसी भी हाल में पीछे नही हटेंगे। Kisan Lagataar Kar Rahe

किसान कब कहाँ करेगा महापंचायत
Kisan Lagataar Kar Rahe

अपनी बात मनवाने और कृषि कानून वापस करने के लिए अब किसान महापंचायत कर रहे है । देश के अलग अलग जगहों जैसे उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में 12 फरवरी, हरियाणा के शहर बहादुरगढ़ में 13 फरवरी को , राजस्थान के श्रीगंगानगर (Sri Ganganagar) में 18 फरवरी, राजस्थान के ही हनुमानगढ़ में 19 फरवरी को और सीकर में 23 फरवरी को महापंचायत का आयोजन किया जायेगा। Kisan Lagataar Kar Rahe

आखिर क्यों किसानो ने महापंचायत करने का फैसला लिया ?

किसान महापंचायत करने कि बात तब सामने आयी जब किसानो ने एकबार फिर 18 फरवरी को रेल रोको कि बात कही। किसानो का कहना है सरकार आंदोलन को तोड़ने और ख़तम करने का प्रयास कर रही है। जिसकी वजह से हमें ये महापंचायत का फैसला लेना पड़ा। Kisan Lagataar Kar Rahe

हालाँकि अभी तक जिस भी स्थान पर किसान महापंचायत काआयोजन हुआ वहां भारी संख्या में किसान मौजूद रहे।मुज्जफरनगर में हुई किसान किसान महापंचायत के मंच पर भारतीय किसान यूनियन के नेता नरेश टिकैत मौजूद रहे। महापंचायत में किसानो ने कहा अगर कृषि कानून वापस नहीं लिए गए तो बीजेपी 2022 और 2024 के चुनावों के लिए तैयार रहे।
राकेश टिकैत का कहना है सरकार हमारी मांगे मान ले नहीं तो हमें मजबूरी मे ये आन्दोलन जारी रखना पड़ेगा और अलग अलग जगहों पर महापंचायत होती रहेगी जिससे ज्यादा से ज्यादा किसान हमारे साथ जुड़ सके।

किसान महापंचायत का सरकार पर क्या हो रहा है असर ?

Kisan Lagataar Kar Rahe

सिंधु बॉर्डर पर लगातार चल रहे आंदोलन में अभी तक लाख़ों कि संख्या में किसान जुड़ चुके हैं ,हांलांकि बीते कुछ समय में इनकी संख्या में गिरावट आयी है। बहुत से किसान अपने घर वापस चले गए जहाँ दिल्ली में हज़ारों की संख्या टैंट लगे थे अब वहीँ कुछ गिने चुने बचे है। Kisan Lagataar Kar Rahe

ऐसे में किसानों ने महापंचायत करने का फैसला लिया था जिससे किसान अपने जिले या राज्य सही आंदोलन में जुड़ सके। ऐसे में इस महांपचायत का सरकार पर असर पड़ना तय है क्योंकि किसान साफ़ बोल चुके है कि या तो तीनो कृषि कानून वापस ले या फिर आने वाले चुनाव के लिए तैयार रहे।

इसलिए यह बात सरकार के लिए चिंतादायक है क्योंकि हमारा देश कृषि प्रधान देश है और यहाँ हर जिले हर राज्य में किसान मौजूद है। Kisan Lagataar Kar Rahe

आंदोलन को अन्य राजनितिक पार्टियों का समर्थन

जहाँ एक ओर सत्ता में बैठी सरकार किसानो की दुश्मन बन बैठी है वहीँ दूसरी ओर कई दूसरी राजनीतिक पार्टियां किसान आंदोलन के समर्थन में खड़ी हैं। आरएलडी, कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, आप जैसी बड़ी राजनीतिक पार्टियां किसानो के साथ खड़ी हैं ,कई प्रतियों के नेता तो किसान महापंचायत में भी शामिल रहे।

वही कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी भी अपना पूरा समर्थन किसान आंदोलन को दे रही हैं उन्होंने बताया किसान हमारे अन्नदाता हैं और मैं इनके साथ खड़ी हूँ। Kisan Lagataar Kar Rahe

अखिलेश यादव ने भी किसानो से वादा किया है की वो इस समय पूरी तरह से किसानो के साथ हैं और उन्होंने बताया सरकार को तीनो कृषि कानून वापस ले लेने चाहिए क्योंकि ये किसानो के हित में नहीं हैं।

ऐसे में हमारा यह कहना मुश्किल है की क्या दूसरी पार्टियां सच मे किसानों के साथ हैं या वो सिर्फ किसान आंदोलन का सहारा लेकर बीजेपी पर निशाना साध रही हैं। हांलांकि राजनीतिक पार्टियों और उनके नेताओं ने किसानो को पूर्ण आश्वाशन दिया है वो पूरी तरह से उनके साथ हैं। और सरकार को तीनो कृषि कानून वापस लेने ही पड़ेगे।

क्या महापंचायतों से होगा किसानो का समाधान ?
Kisan Lagataar Kar Rahe

Kisan Lagataar Kar Rahe

आखिर में सवाल यह रह जाता है कि क्या इन् किसान महापंचायतों से किसानो का समाधान होगा ?अगर हम किसानो के द्वारा बोली गयी बातों पर ध्यान दे तो उससे यही लगता है कि शायद ये महापंचयत उनके आन्दोलन मे सहायक हों।

क्योंकि इससे किसान आंदोलन मे एक नया मोड़ आया है और जो किसान कुछ वजहों सेआंदोलन छोड़कर अपने घर वापस चले गए थे अब वो फिर से महापंचायत के जरिये दोबारा अंदोलन से जुड़ पा रहे हैं।फ़िलहाल यह देखना जरुरी होगा कि आखिर इस किसान महापंचायत से आंदोलन में क्या मोड़ आता है। Kisan Lagataar Kar Rahe

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