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देश में कोरोना की दूसरी लहर का गंभीर हिस्सा भले ही खत्म होता नजर आ रहा है लेकिन खतरा अभी भी टला नहीं है जिसे देखते हुए पिछले कुछ समय में बच्चों में कोरोना के केस बढ़ते जा रहे हैं सरकारी आंकड़ों के अनुसार देश में 20 साल से कम उम्र वाले पॉजिटिव मरीज करीब 12% है और यह आंकड़ा धीरे-धीरे बढ़ता ही जा रहा है इस बीच ही सरकार ने बच्चों में कोरोना के लक्षण और उनकी देखभाल और इलाज को लेकर गाइडलाइन जारी की है। Kaise Pehchane Bachchon Me Corona Ke Lakshan
दुनिया भर के विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना की वजह से बच्चों की सेहत को लेकर घबराने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि बच्चों में कोरोना होने का बड़ा प्रतिशत ऐसा है जिनमें किसी भी तरह के लक्षण नहीं दिखे तो कई बच्चे ऐसे भी हैं जिनमें माइल्ड मॉडरेट से लेकर कई गंभीर लक्षणों का भी सामना करना पड़ा। अब ऐसे में किस तरह के लक्षण आने पर क्या किया जाए इस पर सरकार ने गाइडलाइन जारी की है जिसमें बताया गया है कि बच्चों में किस तरह के लक्षण देखने को मिल रहे हैं और क्या उनका इलाज घर पर ही किया जा सकता है और इस दौरान किस तरह की सावधानियां बरतने की जरूरत है।
बच्चों में कई तरह के हो सकते हैं कोरोना के लक्षण
स्वास्थ्य मंत्रालय ने पूर्णा से संक्रमित बच्चों को चार श्रेणियों में बांटा है
1- कई ऐसे बच्चे हैं जिनमें संक्रमित होने के बाद भी कोरोना का कोई लक्षण नहीं है
Kaise Pehchane Bachchon Me Corona Ke Lakshan
2- कुछ ऐसे बच्चे हैं जिनमें हल्के लक्षण दिखाई दे रहे हैं जैसे कि बुखार खांसी सांस लेने में परेशानी थकान बदन दर्द स्वाद और सुगंध ना आने की शिकायत।
3- सैयां से बच्चे हैं जिनमें मॉडरेट या मध्यम लक्षण दिखाई दिए और अगर मध्यम लक्षण ही ज्यादा दिन तक दिखाई देते हैं तो उन्हें मॉडरेट की कैटेगरी में रखा जाता है कोरोना के कारण कुछ बच्चों के पेट और आंतों से जुड़ी भी समस्याएं देखने को मिल रही है।
4- कुछ ऐसे बच्चे हैं जिनमें करुणा के गंभीर लक्षण देखे जा रहे हैं जिनमें से कुछ बच्चों में मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेट्रीज सिंड्रोम नाम का भी सिंड्रोम देखा जा रहा है जिस वजह से पीड़ित बच्चों में लगातार 100 डिग्री से ज्यादा बुखार बना रहता है।
बच्चों में अलग-अलग तरह के कोरोना के लक्षण देखने में आ रहे हैं जिस वजह से ही इन लक्षणों को समझने के लिए संक्रमित बच्चों को अलग-अलग कैटेगरी में रखा गया है जिन्हें सरकार ने हल्के मध्यम और गंभीर श्रेणियों में बांटा है और इन्हीं लक्षणों के आधार पर बच्चों का इलाज भी अलग अलग तरह से होगा।
कल के लक्षण वाले बच्चों की किस तरह से करें देखभाल?
Kaise Pehchane Bachchon Me Corona Ke Lakshan
* अगर बच्चे में पुरुषों के हल के लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो घर पर ही बच्चे का ऑक्सीजन लेवल और बुखार की जांच समय-समय पर करें एक चार्ट बनाएं जिसमें बुखार आने का टाइम बॉडी टेंपरेचर और दिन में कितनी बार बुखार आ रहा है यह सारी चीजें नोट करें।
* अगर बुखार की समस्या ज्यादा है तो बच्चे को पेरासिटामोल दिया जा सकता है साथ ही गले की खराश और सर्दी जुखाम के लिए गुनगुने पानी से बच्चे को गरारे करवाएं।
* अगर बच्चे को दस्त की समस्या भी है तो उसके शरीर में से पानी की कमी हो सकती है जिसके लिए उसे नारियल पानी या फलों का जूस दें।
* इस तरह के लक्षण दिखाई देने पर बच्चे का किसी भी तरह का टेस्ट कराने की जरूरत नहीं है। Kaise Pehchane Bachchon Me Corona Ke Lakshan
मध्यम कोरोना लक्षण वाले बच्चों की किस तरह से करें देखभाल?
* अगर बच्चे में कोरोना के मध्यम लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो उसे किसी नजदीकी हॉस्पिटल में भर्ती कराना होगा।
* बच्चों को ज्यादा से ज्यादा लिक्विड डाइट दें जिसमें सबसे बेस्ट छोटे बच्चों के लिए मां का दूध है।
* अगर बच्चा सही तरीके से खाना नहीं खा रहा है तो फूड थेरेपी भी शुरू की जा सकती है।
* बुखार के लिए बच्चे को पेरासिटामोल देते रहें।
* अगर बच्चे में ऑक्सीजन लेवल गिरता है तो उसे ऑक्सीजन की भी जरूरत होगी।
* अगर बच्चे में एक जैसे लक्षण लंबे समय तक बने रहे तो कर्तिकॉस्ट्रोएड्स भी दिए जा सकते हैं।
बच्चे को कोरोना संक्रमित होने के दौरान सांस लेने में भी परेशानी हो सकती है जिस वजह से बच्चे जल्दी-जल्दी सांस लेने लगते हैं 1 मिनट में हम कितनी बार सांस लेते और छोड़ते हैं उसे ब्रीडिंग रेट कहा जाता है। जोकि जीरो से 2 महीने के बच्चों में 60 मिनट से ज्यादा का होता है 2 से 12 महीने के बच्चों में 50 मिनट से ज्यादा 1 से 5 साल के बच्चों में 40 मिनट से ज्यादा और 5 साल से ज्यादा की उम्र के बच्चों में 30 मिनट से ज्यादा होता है साथ ही इस ग्रुप के बच्चों का ऑक्सीजन लेवल 90 से अधिक होना चाहिए।
गंभीर लक्षण वाले बच्चों का किस तरह से होगा इलाज?
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* गंभीर लक्षण वाले बच्चों के सीने का एक्सरे कंपलीट ब्लड काउंट किडनी और लीवर फंक्शन की जांच की जाएगी।
* अगर बच्चे के लिवर और किडनी में कोई इंफेक्शन पाया जाता है तो उसे रेमदेसीविर भी दिया जा सकता है।
बच्चों में मल्टी सिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम के मामले भी देखने को मिल रहे हैं।
बच्चों में मल्टी सिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम के मामले देखने को मिले हैं जिसमें भोपाल के कैंसर अस्पताल में कोरोना को लेकर दे रही सेवाएं डॉक्टर पूनम का इस पर कहना है कि शरीर के अलग-अलग हिस्सों जैसे हार्ड किडनी लीवर ब्रेन में जिस तरह का इन्फेक्शन मिल रहा है उसे मल्टीसिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम कहा जाता है हालांकि इस बारे में अभी तक डॉक्टरों के पास ज्यादा जानकारी नहीं है इसलिए इसे बीमारी ना घोषित करके सिंड्रोम कहा जा रहा है।
कैसे होता है मल्टी सिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम?
यह किस तरह से होता है इसकी भी अभी कोई जानकारी नहीं है हालांकि अभी तक जितने भी मामले आए हैं उनमें यह देखा गया है या तो बच्चे खुद कोरोना से संक्रमित थे या फिर वह किसी कोरोना संक्रमित के संपर्क में आए थे।
कोरोना और मल्टी सिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम में क्या है कनेक्शन?
विशेषज्ञों के पास अभी तक इन दोनों के आपस में कनेक्शन को लेकर ज्यादा जानकारी नहीं है लेकिन देखा यह गया है कि को रोना और मल्टीसिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम दोनों के ही लक्षण एक समान है इसलिए डॉक्टरों का इस पर कहना है कि कोरोना से बचने के लिए जिस तरह की सावधानी बरती जा रही है
वहीं सावधानियां हमें मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेट्रीज सिंड्रोम से बचने के लिए भी बरतनी है जिसमें हैंड वॉश करते रहे बच्चों की पहुंच में जाने वाली चीजों को सेनीटाइज करते रहे बच्चों को कोरोना संक्रमित मरीजों से दूर रखें नियमित तरीके से बच्चों के कपड़े और खिलौनों को धोए और सबसे ज्यादा जरूरी है कि पेरेंट्स वैक्सीन लगवाएं। क्योंकि बच्चों के लिए अभी तक वैक्सीन नहीं आई है इसलिए यह बेहद जरूरी है कि पेरेंट्स वैक्सीन लगवा लें और पेरेंट्स का वैक्सीन लगवाना ही बच्चों का सुरक्षा कवच होगा।
Written By : Shruti Dixit
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