आचार्य चाणक्य ने अपने ग्रंथ नीति शास्त्र में एक श्लोक के जरिए 4 स्थानों से भाग जाने की सलाह दी है, वरना आपकी जान और मान को हानि पहुंच सकती है. जानिए उन 4 स्थानों के बारे में.आचार्य ने अपने ग्रंथ नीति शास्त्र में कहा है कि ‘उपसर्गेऽन्यचक्रे च दुर्भिक्षे च भयावहे, असाधुजनसंपर्के य: पलायति स जीवति’ इस श्लोक के जरिए आचार्य ने 4 स्थानों से भागने के लिए कहा है.
अगर किसी स्थान पर दंगा हो जाए तो वहां से भागने में ही समझदारी होती है. अगर आप ज्यादा देर तक वहां खड़े होंगे तो अपनी जान को मुश्किल में डालेंगे. ऐसे में आप उपद्रवियों के निशाने पर आ सकते हैं, साथ ही शासन-प्रशासन की कार्यवाही में भी फंस सकते हैं. इसलिए ऐसी जगह से भागने में देर न करें.
अगर आप पर दुश्मन अचानक हमला कर दे, तो वहां से निकलकर भागने में आपकी भलाई है क्योंकि अचानक किए हमले से निपटने में आप सक्षम नहीं होंगे. ऐसे में आपकी जान को खतरा है.
जिस स्थान पर अकाल पड़ जाए, वहां रहने का कोई औचित्य ही नहीं है. ऐसी जगह पर रहना मूर्खता कहलाएगा क्योंकि ऐसे स्थान पर आप बहुत लंबे समय तक सर्वाइव नहीं कर पाएंगे और अपनी जान गंवा बैठेंगे. ऐसी जगह को तत्काल छोड़ देना चाहिए.
अगर कोई अपराधी या ऐसा व्यक्ति जिसका समाज में मान-सम्मान न हो, वो आपके आसपास भी खड़ा हो, तो उस स्थान को तुरंत छोड़कर निकल जाना चाहिए. ऐसे लोगों के पास खड़े होने से आपकी सामाजिक प्रतिष्ठा दांव पर लग जाती है. जो सम्मान आपने वर्षों की मेहनत से कमाया है, उसे खोने में थोड़ा भी समय नहीं लगेगा.
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