डिजिटल डेस्क : मशहूर संतूर वादक पद्मश्री पंडित भजन सोपोरी का गुरुग्राम के एक अस्पताल में गुरुवार को निधन हो गया। उनके परिवार के सूत्रों ने यह जानकारी दी। वे 74 साल के थे और पिछले कुछ समय से बीमार थे। उनका जन्म साल 1948 में श्रीनगर में हुआ था। भजन सोपोरी को क्लासिकल म्यूजिक में योगदान के लिए 1992 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार दिया गया था। इसके बाद उन्हें भारत सरकार ने साल 2004 में पद्मश्री से सम्मानित किया।
विरासत में मिली संगीत शिक्षा
भजन सोपोरी को संतूर वादन की शिक्षा विरासत में मिली थी। उनके दादा एससी सोपोरी और पिता पंडित एसएन सोपोरी भी संतूर वादक थे। उन्होंने घर में ही संतूर की शिक्षा ली थी। भजन संतूर के साथ गायन में भी निपुण थे। संगीत के साथ उन्होंने अंग्रेजी साहित्य में पोस्ट ग्रेजुएट किया। इसके बाद उन्होंने वाशिंगटन विश्वविद्यालय से वेस्टर्न क्लासिकल म्यूजिक में भी पढ़ाई की थी। पंडित भजन सोपोरी ने तीन रागों की रचना की है। इनमें राग लालेश्वरी, राग पटवंती और राग निर्मल रंजनी है।
पंडित भजन सोपोरी का संबंध सूफियाना घराना से है। पंडित भजन सोपोरी ने एक एलबम नट योग ऑन संतूर बनाया। भजन सोपोरी सोपोरी एकेडमी फॉर म्यूजिक एंड परफॉर्मिंग आर्ट्स के संस्थापक भी हैं। इस अकादमी का मुख्य उद्देश्य शास्त्रीय संगीत को बढ़ावा देना है।
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चार हजार से अधिक गीतों के लिए म्यूजिक कंपोज किया
पंडित सोपोरी भारत के इकलौते क्लासिकल म्यूजीशियन हैं जिन्होंने संस्कृत, अरबी समेत देश की लगभग हर भाषा में करीब चार हजार से अधिक गीतों के लिए म्यूजिक कंपोज किया है। सोपोरी ने देश की एकता के लिए भी कई गाने कंपोज किए हैं। इनमें सरफरोशी की तमन्ना, कदम-कदम बढ़ाए जा, विजयी विश्व तिरंगा प्यारा और हम होंगे कामयाब शामिल हैं।