Friday, November 22, 2024
Homeदेशगौतम अडानी के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट और प्रत्यर्पण की हो सकती है...

गौतम अडानी के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट और प्रत्यर्पण की हो सकती है कोशिश

गौतम अडानी और सात अन्य के खिलाफ करोड़ों डॉलर के रिश्वतखोरी मामले में अमेरिका द्वारा दीवानी व आपराधिक आरोप दायर किए गये हैं। न्यूयॉर्क के एक प्रमुख वकील का कहना है कि मामला काफी आगे बढ़ सकता है और इसके बाद गिरफ्तारी वारंट और यहां तक ​​कि प्रत्यर्पण के प्रयास भी हो सकते हैं। अमेरिकी न्याय विभाग ने गौतम अडानी तथा उनके भतीजे सागर अडानी सहित सात अन्य पर महंगी सौर ऊर्जा खरीदने के लिए आंध्र प्रदेश और ओडिशा के अधिकारियों को रिश्वत देने का आरोप लगाया गया है। हालांकि, इसमें अधिकारियों के नाम का खुलासा नहीं किया गया है।

दुर्लभ परिस्थितियों में होता है प्रत्यर्पण

भारतीय-अमेरिकी वकील रवि बत्रा ने कहा कि प्रत्यर्पण “अत्यंत दुर्लभ परिस्थितियों में” होता है, जैसा कि चिली के पूर्व राष्ट्रपति ऑगस्टो पिनोशे के मामले में हुआ था। ब्रिटेन ने उन्हें केवल मानवीय आधार पर प्रत्यर्पित नहीं किया। उन्होंने कहा, “अडानी और सात अन्य लोगों से जुड़े इस मामले में पिनोशे की मिसाल लागू होते देखना मुश्किल है।” भारत-अमेरिका प्रत्यर्पण संधि पर 1997 में हस्ताक्षर किए गए थे। न्यूयॉर्क के पूर्वी जिले के अमेरिकी अटॉर्नी पीस ने 62 वर्षीय अडानी, उनके भतीजे अडानी ग्रीन एनर्जी के डायरेक्टर सागर अडानी तथा कंपनी के पूर्व सीईओ विनीत एस जैन के खिलाफ पांच-अनुसूचित आपराधिक अभियोग की घोषणा की है।

गौतम अडानी के प्रत्यर्पण की हो सकती है कोशिश

इन परियोजनाओं से समूह को 20 साल में दो अरब डॉलर से अधिक लाभ होने का अनुमान है। हालांकि, अडानी समूह ने आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि अमेरिकी अभियोजकों द्वारा लगाए गए आरोप ‘निराधार’ हैं और समूह ‘सभी कानूनों का अनुपालन करता है।’ भारतीय-अमेरिकी वकील रवि बत्रा ने बताया कि अमेरिकी अटॉर्नी ब्रायन पीस को अडानी और सात अन्य के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी करने और उन देशों में मामला आगे बढ़ाने का अधिकार है, जहां वे रहते हैं। उन्होंने कहा अगर उस देश के पास जैसा कि भारत के पास है, प्रत्यर्पण संधि है। तो संप्रभु राष्ट्रों के बीच द्विपक्षीय अनुबंध के अनुसार, निवासी राष्ट्र को अमेरिका द्वारा प्रत्यर्पित व्यक्ति को सौंपना चाहिए। एक प्रक्रिया है जिसका निवासी राष्ट्र को अपने कानूनों के अनुरूप पालन करना चाहिए।

read more : शाही जामा मस्जिद: अपील, सुनवाई और सर्वे का आदेश, साजिश है या संयोग?

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments