सोमवार को बिलकिस बानो गैंगरेप केस के दोषियों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला लिया है। इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार के फैसले को नकार दिया है। जी हाँ , गुजरात सरकार के फैसले को रद्द करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो केस के दोषियों को दो हफ्ते के अंदर सरेंडर करने का आदेश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार के फैसले को गलत करार करते हुए कहा कि गुजरात सरकार इस केस से जुड़ा कोई भी फैसला लेने में सक्षम नही थी, गुजरात सरकार के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने ‘फ्रॉड एक्ट’ घोषित कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा देश की हर महिला सम्मान की हकदार है। फिर चाहे वह किसी भी समाज में कितनी भी ऊंची या नीची क्यों ना हो।
सुप्रीम कोर्ट ने बताया की कैसे दोषी पक्ष भौतिक तथ्यों को दबाकर और एक झूठा तथ्य बनाकर सजा माफ कराने का सोच रहे थे। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीवी नागरथाना और उज्जल भुइयां की बेंच ने यह फैसला सुनाया। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो गैंगरेप केस के 11 दोषियों को सजा सुई और दो हफ्ते के भितर-भितर सरेंडर करने का आदेश दिया है। इसी के साथ जस्टिस नागरथाना ने बताया कि इस अदालत में धोखाधड़ी का खेल खेला गया है। गुजरात सरकार को सजा की छूट पर विचार करने का कोई निर्देश ही नही दिया गया था।
क्या है बिलकिस बानो केस
लंबे समय से बिलकिस बानो केस मुद्दा बना रहा है। साल 2002 के दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ 11 लोगों ने गैंगरेप किया था। बताया जाता है कि, उस दौरान बिलकिस 5 महीने की प्रेग्नेंट भी थीं और उसकी भी मृत्यु हो गयी थी। हालांकि , मामले को लेकर दोषियों को आजीवान कारावास की सजा भी सुनाई गई।
कानून द्वारा बनाए गए एक बिल के अनुसार , सभी दोषी 14 साल की सजा काट चुके थे जिसके बाद गुजरात सरकार
ने उन्हें बरी कर दिया था। बिलकिस इसके बाद सुप्रीम कोर्ट गयी और दोषियों की रिहाई के खिलाफ आवाज़ उठाई। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में गुजरात सरकार के फैसले को पलटते हुए दोषियों की सजा माफी रद्द कर दी है। फैसले में कहा कि जहां अपराधी के खिलाफ मुकदमा चला और सजा सुनाई गई, वही राज्य दोषियों की सजा माफी का फैसला कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा दोषियों की सजा माफी का फैसला गुजरात सरकार नहीं कर सकती बल्कि महाराष्ट्र सरकार इस पर फैसला करेगी। गौरतलब है कि बिलकिस बानो मामले की सुनवाई महाराष्ट्र में हुई।
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