उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में सत्संग के दौरान भगदड़ के हादसे में अब तक 123 लोगों के मारे जाने की खबर आ चुकी है। यह हादसा नारायण सरकार हरि कहलाने वाले सूरजपाल सिंह उर्फ़ हाथरस वाले बाबा नाम के शख्स के सत्संग में हुआ। यह सूरजपाल सिंह उर्फ़ हाथरस वाले बाबा बहुत चर्चित नहीं रहा है, लेकिन इस हादसे ने उसे पूरे देश में कुख्यात कर दिया है। हालांकि अब जो रिकॉर्ड सामने आ रहा है, उसके अनुसार सूरजपाल सिंह उर्फ़ हाथरस वाले बाबा पर पहले भी कई केस दर्ज हो चुके हैं। यही नहीं बिना जरूरी परमिशन के भारी भीड़ जुटाने और कोरोना जैसी आपदा के दौर में भी नियमों को ताक पर रखने का उसका रिकॉर्ड रहा है।
50 लोगो की जगह आये 50 हज़ार
अब तक मीडिया की सुर्खियों से भले ही नारायण सरकार हरि उर्फ़ सूरजपाल सिंह दूर रहा है, लेकिन विवादों से उसका पुराना नाता है। यहां तक कि उसने 2022 में भी यूपी के ही फर्रूखाबाद में एक बड़ा आयोजन किया था। इस कार्यक्रम में 50 हजार से ज्यादा लोग जुटे थे। उसने यह आयोजन तब किया था, जब पूरे देश में कोरोना के डेल्टा वैरिएंट का प्रकोप था। जिला प्रशासन से सूरजपाल सिंह ने परमिशन मांगी थी तो 50 लोगों का एक छोटा कार्यक्रम करने की उसे अनुमति मिल गई थी। उसमें भी शर्तें थीं कि कोविड के प्रोटोकॉल का पालन किया जाएगा। लेकिन कार्यक्रम में 50 हजार लोगों का हुजूम उमड़ा और सारे नियमों को ताक पर रख दिया गया।
हाथरस वाले बाबा ने बना रखी है नारायणी सेना
नारायण सरकार हरि उर्फ़ सूरजपाल सिंह उर्फ़ हाथरस वाले बाबा कभी भी अपने आयोजनों में पुलिस प्रशासन की मदद नहीं लेता था। भारी भीड़ जुटने पर उसके ही लोग सुरक्षा व्यवस्था में जुटते थे, जिन्हें वॉलंटियर कहा जाता था। इस टीम को सूरजपाल सिंह ने नारायणी सेना का नाम दिया था। इस ‘नारायणी सेना’ में महिला और पुरुष दोनों शामिल किए जाते थे।नारायण सरकार हरि उर्फ़ सूरजपाल सिंह उर्फ़ हाथरस वाले बाबा मूलत: एटा जिले के बहादुर नगरी गांव का रहने वाला है। उसका दावा रहा है कि वह पुलिस में हेड कॉन्स्टेबल था और फिर इंटेलिजेंस यूनिट में भी 18 सालों तक काम किया। हालांकि उसके कुछ समर्थक तो यहां तक दावा करते हैं कि वह इंटेलिजेंस ब्यूरो के लिए भी काम कर चुका है।
भगवा वस्त्र नहीं पहनता हाथरस वाला बाबा, सूट का है शौकीन
खुद को ‘नारायण हरि सरकार’ कहने वाला नारायण सरकार हरि उर्फ़ सूरजपाल सिंह उर्फ़ हाथरस वाले बाबा दावा करता है कि वह गांव में झोपड़ी में ही रहता है। यूपी के तमाम जिलों के अलावा राजस्थान और मध्य प्रदेश में भी पिछले कुछ सालों में उसने प्रभाव जमा लिया। सूरजपाल सिंह भले ही खुद को धर्मगुरु के तौर पर पेश करता है, लेकिन हमेशा सफेद सूट और टाई में दिखता है। कई बार कुर्ता पायजामा भी पहनता है। वह अपनी पत्नी प्रेमवती को भी हमेशा साथ रखता है।
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