ज्ञानवापी परिसर में स्तिथ व्यास जी के तहखाने में पूजा चल रही है। जिसे रुकवाने के लिए मुस्लिम पक्ष हाई कोर्ट पहुंचा हुआ है। जिला जज के आदेश के खिलाफ दायर की गई याचिका पर आज सुनवाई होनी है। इसके साथ ही मंगलवार को ज्ञानवापी (Gyanvapi) परिसर में बंद तहखाने एस-1 और एन-1 के ASI सर्वे कराने की मांग हुई। इस पर जिला जज की अदालत में सुनवाई हुई। इस दौरान दोनों पक्षों को कोर्ट ने सुना और मामले की सुनवाई के लिए अगली तारीख 15 फरवरी को तय किया।
ज्ञानवापी (Gyanvapi) में बंद तहखानों के सर्वे की मांग
याचिका दाखिल करने वाली राखी सिंह के अधिवक्ता अनुपम द्विवेदी ने कहा कि ASI सर्वे में ज्ञानवापी के आठ में से दो तहखाने बंद मिले हैं। सर्वे रिपोर्ट में बंद तहखानों को एन-1 और एस-1 नाम दिया गया है। सर्वे में पाया गया कि , बंद तहखानों के नीचे ही आठ मंडप वाली प्राचीन संरचना है। इसमें प्रवेश के लिए मुख्य द्वार पश्चिम की ओर से था । जिसे ईंट-पत्थर की दिवार से बंद कर दिया गया है। यह द्वार मंदिर के गर्भगृह की ओर जा रहा था।
साथ ही जो तहखाने नज़र आ रहे हैं । उनके अलावा अन्य तहखाने भी वहां हो सकते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि , ज्ञानवापी (Gyanvapi) के दक्षिण तहखाने के पास कुआं भी है, जिसका भी सर्वे नहीं हुआ है। अधिवक्ता ने सर्वे में सामने आए तथ्यों को देखते हुए । ज्ञानवापी का धार्मिक स्वरूप तय करने के लिए बंद तहखानों और बाकी हिस्सों के सर्वे को जरूरी बताया।
मुस्लिम पक्ष ने जताई आपत्ति
मुस्लिम पक्ष की ओर से बंद तहखानों के सर्वे पर आपत्ति जताई गई है। अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमिटी के अधिवक्ता एखलाक अहमद व रईस अहमद ने कहा कि , तहखानों का सर्वे कराने से मस्जिद को क्षति पहुंचेगी। उन्होंने आपत्ति दाखिल करने के लिए समय दिए जाने का भी अनुरोध किया। वहीं , मुस्लिम पक्ष की आपत्ति पर राखी सिंह के अधिवक्ता कहना था कि , अदालत अगर चाहे तो बंद तहखानों का सर्वे करवाने के संबंध में ASI से रिपोर्ट मांग सकती है।
हिंदू पक्ष के अन्य अधिवक्ता सुधीर त्रिपाठी व सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने ज्ञानवापी (Gyanvapi) से संबंधित मामलों के लिए अपील की है। इन्होने इलाहाबाद हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई को देखते हुए तहखाना सर्वे मामले की सुनवाई कुछ दिन बाद करने का अनुरोध किया। इस पर प्रभारी जिला जज ने अगली सुनवाई की तारीख 15 फरवरी दी है।
Read More : मेयर चुनाव के रिटर्निंग ऑफिसर पर भड़के सुप्रीम कोर्ट ने कहा – यह लोकतंत्र की हत्या है