बरसाना की लट्ठमार होली (Lathmar Holi 2022) पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. ये होली राधा-कृष्ण (Radha-Krishna) के प्रेम का प्रतीक मानी जाती है. हर साल होली से कुछ दिन पहले रंगीली गली (Rangili Gali) में लट्ठमार होली का आयोजन किया जाता है. रंगीली गली वही गली है, जहां द्वापरयुग में श्रीकृष्ण ने राधारानी और गोपियों के साथ लट्ठमार होली खेलने की शुरुआत की थी. तब से आज तक ये परंपरा चली आ रही है. हर साल रंगीली गली से चौक तक पूरा इलाका होली के रंग और रस में डूब जाता है. इस बार लट्ठमार होली 11 मार्च को खेली जाएगी. यहां जानिए कि आखिर कैसे शुरु हुई थी लट्ठमार होली की परंपरा.
राधारानी और श्रीकृष्ण ने शुरू की थी इस होली की परंपरा
लट्ठमार होली की परंपरा की शुरुआत राधारानी और भगवान श्रीकृष्ण के समय से मानी जाती है. मान्यता है कि नंदगांव में रहने वाले नटखट कान्हा उस समय अपने सखाओं को साथ लेकर राधा और अन्य गोपियों के साथ होली खेलने और उन्हें सताने के लिए बरसाना पहुंच जाया करते थे. उसके बाद वे राधा और उनकी सखियों के साथ ठिठोली करते थे. राधा और उनकी सखियां कृष्ण और उनके सखाओं की हरकतों से परेशान हो चुकी थीं.
होली के रंग से बचने और उन्हें सबक सिखाने के लिए राधारानी अपनी सखियों के साथ मिलकर उन पर लाठियां बरसाया करती थीं. उनके वार से बचने के लिए कृष्ण और उनके सखा ढालों प्रयोग करते थे. धीरे-धीरे उनका ये प्रेमपूर्वक होली खेलने का तरीका परंपरा बन गया. तब से आज तक इस परंपरा को निभाया जा रहा है. हर साल बड़े स्तर पर बरसाना में लट्ठमार होली का आयोजन होता है.
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नंदगांव और बरसाना के लोगों के बीच खेली जाती है ये होली
बरसाना की लट्ठमार होली के दिन पूरे ब्रज में उत्साह देखने को मिलता है. देश विदेश से लोग इस आयोजन का आनंद लेने आते हैं. यहां की होली में आज भी नंदगांव के पुरुष और बरसाने की महिलाएं ही भाग लेती हैं, क्योंकि कृष्ण नंदगांव के थे और राधा बरसाने की थीं. नंदगांव के लोग कमर पर फेंटा लगाकर बरसाना की महिलाओं के साथ होली खेलने पहुंचते हैं. इस बीच बरसाने की महिलाएं उन पर लाठियां भांजती हैं और वे ढाल का इस्तेमाल कर उनकी लाठियों से बचने का प्रयास करते हैं. लट्ठमार होली के अगले दिन बरसाना के लोग नंदगांव की महिलाओं के साथ होली खेलने जाते हैं. बरसाना में होली खेलने वाले पुरुषों को होरियारे और महिलाओं को हुरियारिनें कहा जाता है. बरसाना में 11 मार्च को होली खेलने के बाद 12 मार्च को इस होली का आयोजन नंदगांव में किया जाएगा.