क्या यूपीआई पेमेंट महंगा होने जा रहा है ? क्या आपको अब 2000 से अधिक के पेमेंट पर अतिरिक्त चार्ज देना होगा ? कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि अगले महीने से 2000 रुपये से ज्यादा के यूपीआई भुगतान पर 1.1 फीसदी शुल्क देना होगा। मीडिया में आ रही ऐसी खबरों को सिरे से नकारते हुए नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) ने कहा कि बैंक खाते से लेकर बैंक खाता आधारित यूपीआई भुगतान या सामान्य यूपीआई भुगतान पर कोई शुल्क नहीं लिया जा रहा है। एनपीसीआई ने एक बयान में स्पष्ट किया कि इंटरचेंज शुल्क केवल प्रीपेड भुगतान उपकरणों (पीपीआई) मर्चेंट लेनदेन के लिए लागू होते हैं और ग्राहकों से कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा।
पीपीआई के तहत होने वाले लेन-देन पर देना होगा चार्ज
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार यूपीआई का संचालन करने वाली संस्था एनपीसीआई ने अपने सर्कुलर में कहा कि 2,000 रुपये से अधिक की राशि के लिए यूपीआई पर पीपीआई का उपयोग करने से लेनदेन मूल्य का 1.1 प्रतिशत शुल्क के रूप में देना पड़ेगा। इंटरचेंज शुल्क आमतौर पर कार्ड भुगतान से जुड़ा होता है और लेनदेन को स्वीकार करने, संसाधित करने और अधिकृत करने की लागत को कवर करने के लिए लगाया जाता है। पीपीआई के तहत होने वोले मर्चेंट टू मर्चेंट लेन-देन पर 0.5 – 1.1 प्रतिशत तक शुल्क वसूले जाने का प्रस्ताव दिया गया है। जिसमें ईंधन के लिए इंटरचेंज 0.5 प्रतिशत, दूरसंचार, उपयोगिताओं/ डाकघर, शिक्षा, कृषि के लिए 0.7 प्रतिशत, सुपरमार्केट के लिए 0.9 प्रतिशत और म्यूचुअल फंड, सरकार, बीमा और रेलवे के लिए 1 प्रतिशत चार्ज लग सकता है।। ये शुल्क 1 अप्रैल, 2023 से लागू होंगे।
हर महीने यूपीआई से 8 अरब भुगतान
एनपीसीआई ने ट्वीट कर बताया कि यूपीआई के जरिये हर महीने करीब 8 अरब ट्रांजेक्शन होता है। इसका फायदा खुदरा ग्राहकों को मिल रहा है। यह सुविधा आगे भी मुफ्त बनी रहेगी और खाते से खाते में लेनदेन पर किसी तरह का शुल्क नहीं लिया जाएगा। इसका मतलब हुआ कि फोन पे, पेटीएम, गूगल पे से यूपीआई भुगतान पहले की ही तरह मुफ्त बना रहेगा।
यूपीआई लेनदन पर शुल्क लगने से पड़ेगा असर
एनपीसीआई के सर्कुलर से संकेत मिल रहे हैं कि एक अप्रैल से यूपीआई भुगतान यानी गूगल पे, फोन पे और पेटीएम के माध्यम से अगर पीपीआई का इस्तेमाल करते हुए 2,000 रुपये से ज्यादा का भुगतान किया गया तो इसके लिए आपको अतिरिक्त शुल्क चुकाना पड़ सकता है। हालांकि ऐसे लेनदेन फिलहाल यूपीआई के तहत होने वाले कुल लेन-देन के महज 0.1 प्रतिशत ही हैं, ऐसे में आम ग्राहकों पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा।
बता दें कि पिछले कुछ महीनों में सरकार की ओर से भी कई बार इस बात के संकेत दिए गए थे कि यूपीआई मुफ्त बना रहेगा। यूपीआई से भुगतान भारतीय अर्थव्यवस्था के डिजिटलीकरण में अहम भूमिका निभा रहा है। ऐसे में यूपीआई लेनदन पर शुल्क लगने से इस पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है।
क्या होता है पीपीआई
पीपीआई यानी प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट एक ऐसी सुविधा है कि जिसमें 10 हजार रुपये तक का लेनदेन किया जा सकता है। इस सुविधा में पहले सही रिचार्ज की तरह पैसे डाले जाते हैं और उसके जरिये सामान खरीदने या किसी को पैसे भेजने में इस्तेमाल किया जा सकता है। एनपीसीआई ने कहा है कि इसी तरह के भुगतान पर इंटरचार्ज शुल्क 1 अप्रैल से लिया जाएगा। अब पीपीआई के जरिये 2000 रुपये से ज्यादा का भुगतान किया गया। तो 1.1 फीसदी शुल्क देना पड़ेगा।
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