डिजिटल डेस्क : ‘‘आम लोगों के चाहने पर” सक्रिय राजनीति में कदम रखने की इच्छा जताते हुए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के उद्योगपति दामाद रॉबर्ट वाड्रा ने कहा है कि सियासत में उतरकर वह जनता की ‘‘बड़े पैमाने पर” सेवा कर सकते हैं. वाड्रा ने अपने मध्य प्रदेश दौरे में समाचारों के एक स्थानीय यूट्यूब चैनल को रविवार को दिए साक्षात्कार में यह बात कही.सक्रिय राजनीति में उतरने की संभावनाओं के बारे में पूछे जाने पर वाड्रा ने कहा कि मैं राजनीति समझता हूं और अगर (आम) लोग चाहेंगे कि मैं उनकी नुमाइंदगी करूं और अगर मैं उनके लिए कोई बदलाव ला सकता हूं, तो मैं यह कदम जरूर उठाऊंगा.
उज्जैन के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग और अन्य मंदिरों में पूजा-अर्चना के बाद वाड्रा ने कहा कि मेरे परमार्थिक काम 10 साल से भी अधिक समय से चल रहे हैं और आगे भी चलते रहेंगे. चाहे जितना भी समय लगे और भले ही मैं राजनीति में आऊं या नहीं, मैं लोगों की सेवा तो कर ही रहा हूं.सोनिया गांधी के 53 वर्षीय दामाद वाड्रा ने हालांकि यह भी कहा कि अगर वह राजनीति में आते हैं, तो बड़े पैमाने पर लोगों की सेवा कर सकेंगे. उन्होंने कहा कि वैसे मैं अब भी देश भर में आम लोगों के बीच पहुंचता हूं. मुझे पता है कि लोग मेरे साथ हैं और वे मेहनत करते हैं. इन लोगों को पता है कि अगर वे मेरा नाम इस्तेमाल करेंगे, तो जनता के लिए अच्छा काम ही करेंगे.
रॉबर्ट वाड्रा ने कहा
आगे वाड्रा ने कहा कि देखते हैं कि आगे क्या होता है. हम हर रोज परिवार में बात करते हैं कि आज कैसी राजनीति हो रही है और देश कैसे बदल रहा है. उन्होंने देश के सियासी परिदृश्य के संदर्भ में कहा कि मौजूदा हालात देखकर उन्हें ‘‘घबराहट” होती है. वाड्रा ने यह भी कहा कि आज मीडिया असलियत बताने में डरता है. उन्होंने कहा कि ये सारी चीजें लोकतंत्र का हिस्सा नहीं हैं. ये चीजें देश को आगे नहीं, बल्कि पीछे ही ले जाएंगी.उत्तर प्रदेश के पिछले विधानसभा चुनावों में बतौर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के प्रदर्शन पर उनके पति ने कहा, ‘‘मैं प्रियंका को 10 में से 10 अंक देना चाहूंगा.
उन्होंने इन चुनावों में दिन-रात एक कर दिया था. हालांकि, हम उत्तर प्रदेश के चुनावी जनादेश को स्वीकार करते हैं और इस सूबे के लोगों के हित में पूरी लगन से काम करते रहेंगे. वाड्रा ने हालांकि कहा, ‘‘इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) को लेकर आम लोगों के मन में जो संदेह हैं, अगर वे दूर कर दिए जाएं तो देश में चुनावी नतीजे बहुत अलग दिखाई देंगे.
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वाड्रा ने केंद्र की नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार को घेरते हुए कहा कि कोविड-19 के भीषण प्रकोप के वक्त देश में एकाएक तालाबंदी लागू कर दी गई थी और इन दिनों बेरोजगारी बढ़ रही है। वाद्रा ने यह भी कहा, देश में हिंदू-मुस्लिम का भेदभाव खत्म होना चाहिए और सभी मतों एवं संप्रदायों को समानता से स्वीकार करते हुए धर्मनिरपेक्ष रहना चाहिए.”