डिजिटल डेस्क : क्या बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लड़ेंगे राष्ट्रपति चुनाव? क्या प्रशांत किशोर से मुलाकात के पीछे असली वजह राष्ट्रपति पद के लिए उनकी उम्मीदवारी है? कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के बाद सियासी गलियारों में इस तरह के सवाल खड़े हो गए हैं. बताया जा रहा है कि तेलंगाना के सीएम के चंद्रशेखर राव ने यह कवायद शुरू कर दी है और प्रशांत किशोर को नीतीश कुमार को अन्य दलों से संपर्क करने के लिए तैयार करने का माध्यम बनाया गया है.
इस साल जुलाई-अगस्त में राष्ट्रपति चुनाव होने हैं। इस बात को लेकर बीजेपी के खासे मुखर रहे तेलंगाना के सीएम केसीआर ने टुकड़े-टुकड़े करना शुरू कर दिया है. उन्होंने गैर-भाजपा और गैर-कांग्रेसी दलों को एकजुट करने की पहल की है।
इसी महीने प्रशांत किशोर और केसीआर के बीच मुलाकात हुई थी. इसके बाद प्रशांत किशोर ने बिहार के सीएम नीतीश कुमार से मुलाकात की. बता दें कि बीते दिनों तेजस्वी यादव ने केसीआर के अलावा शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार से भी मुलाकात की थी. माना जा रहा है कि इन सभी बैठकों का एजेंडा राष्ट्रपति चुनाव के जरिए बीजेपी को झटका देने की साजिश है. केसीआर ने कोशिश की है कि कांग्रेस को छोड़कर बाकी सभी पार्टियों जैसे टीएमसी, एसपी, आप, राजद, जदयू को साथ लाया जाए. केसीआर को उम्मीद है कि नीतीश कुमार काफी मजबूत उम्मीदवार होंगे और कांग्रेस भी उन्हें समर्थन देने के लिए मजबूर हो सकती है.
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बिहार की राजनीति बदलेगी
विपक्ष की तरफ से नीतीश कुमार को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाने से पहले कई बार कयास लगाए जा रहे थे कि बीजेपी नीतीश को उपाध्यक्ष बना सकती है. हालांकि अब नए समीकरणों के उभरने के बाद बिहार की सियासत में भूचाल आ सकता है. अगर नीतीश विपक्ष के प्रस्ताव को मान लेते हैं तो उनका बीजेपी से अलग होना तय माना जा रहा है. ऐसे में अगर राजद और जदयू साथ आते हैं तो बीजेपी को सत्ता से बाहर होना पड़ेगा.