क्या ममता सरकार को बर्खास्त करने का आधार बनेगी बीरभूम हिंसा?

बीरभूम

कोलकाता : बंगाल में हिंसा का दौर थम नहीं रहा है। बीरभूम जिले में हुई 10 लोगों की हत्या का मामला ठंडा भी नहीं पड़ा है और अब नादिया में एक टीएमसी नेता की गोली मारकर हत्या कर दी गई। घटना बुधवार देर रात हुई। हालांकि बंगाल सरकार ने बीरभूम हिंसा की जांच के लिए एक विशेष जांच दल का गठन किया है। लेकिन राज्य की कानून व्यवस्था को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने कहा कि बंगाल में कानून-व्यवस्था चरमरा गई है।

बीरभूम हिंसा के मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है। कोर्ट ने गुरुवार दोपहर की बीरभूम के ताजा हालात पर रिपोर्ट मांगी है लेकिन बीरभूम में टीएमसी नेता की हत्या के बाद भड़की हिंसा का मामला राजनीतिक रंग ले रहा है। भाजपा ने राज्य में बढ़ती हिंसा के मद्देनजर केंद्र सरकार से राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है।

राज्य में विपक्ष के नेता और भाजपा विधायक शुभेंदु अधिकारी ने इस घटना को ‘बर्बर नरसंहार’ बताते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की निंदा की है। उन्होंने कहा, पश्चिम बंगाल में कानून-व्यवस्था की स्थिति गंभीर है। उन्होंने कहा कि राज्य के विभिन्न हिस्सों में पिछले एक सप्ताह में 26 हत्याएं हो चुकी हैं। केंद्र को हस्तक्षेप करना चाहिए और बंगाल में स्थिति को अपने नियंत्रण में लेने धारा 356 (राष्ट्रपति शासन) या 355 का उपयोग करना चाहिए।

कांग्रेस ने अनुच्छेद 355 लागू करने की मांग की
वहीं कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने भी राज्य में 355 लागू करने की मांग की है। अनुच्छेद 355 राज्य की कानून-व्यवस्था बिगड़ने पर केंद्र को दखल देने का अधिकार देता है। विपक्ष ने ममता बनर्जी का इस्तीफा भी मांगा है।

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क्या बंगाल में लग सकता है राष्ट्रपति शासन?
केंद्र सरकार चाहे तो कानून-व्यवस्था का हवाला देकर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा सकती है। राज्य में ममता बनर्जी सरकार को घेरने के लिए यह भाजपा के लिए अच्छा मौका हो सकता है। पिछले साल दो मई को पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के नतीजों आने के बाद भी राज्य भर से भाजपा कार्यकर्ताओं के खिलाफ हिंसा की खबरें आई थीं। तब भी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की गई थी।