एस्ट्रो डेस्क : हिंदू धर्म में दिवाली के त्योहार का विशेष महत्व होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल दिवाली, कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है। इस साल कार्तिक अमावस्या 04 नवंबर (गुरुवार) को है। दिवाली पर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश, धन के देवता कुबेर, माता काली और मां सरस्वती की भी पूजा की जाती है। लेकिन दिवाली के दिन मां लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु की पूजा नहीं की जाती। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन सभी देवताओं की पूजा के दौरान भगवान विष्णु की पूजा आखिर क्यों नहीं की जाती है? तो आइए हम आपको बताते हैं कि आखिर दिवाली की रात भगवान विष्णु के बगैर लक्ष्मी पूजा क्यों की जाती है।
इसलिए नहीं पूजे जाते दिवाली के दिन भगवान विष्णु
दरअसल दिवाली के दिन मां लक्ष्मी के साथ कई देवी-देवताओं की पूजा की जाती है लेकिन उस रात भगवान श्री हरि को पूजने की परिपाटी नहीं है। इसका एक विशेष कारण है। आपको याद दिला दें कि दिवाली का त्योहार चातुर्मास के बीच पड़ता है। इन दिनों मान्यता है कि भगवान विष्णु योगनिद्रा में लीन रहते हैं। ऐसे में किसी भी धार्मिक कार्य के दौरान उनकी अनुपस्थिति स्वभाविक है और यही एक वजह है जिसके कारण दिवाली के दिनों मां लक्ष्मी भगवान विष्णु के बिना ही धरती लोग पर पधारती हैं और घर घर में अन्य देवताओं के साथ पूजी जाती हैं।
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देव दीपावली के दिन पधारते हैं श्रीहरि
मान्यता है कि दिवाली के बाद भगवान विष्णु कार्तिक पूर्णिमा के दिन योगनिद्रा से जागते हैं। दरअसल, भगवान विष्णु चातुर्मास के दौरान निद्रालीन रहते हैं और दिवाली के बाद देवउठनी एकादशी पर ही जागते हैं। चूंकि दिवाली चातुर्मास के दौरान पड़ती है लिहाजा उनकी निद्रा भंग न हो इसलिए दिवाली के दिन उनका आह्वान-पूजा नहीं की जाती है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन जब भगवान विष्णु नींद से जागते हैं उस दिन देव दीपावली मनाई जाती है। इस दिन मंदिरों में खूब सजावट की जाती है।