Thursday, November 14, 2024
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क्यों है पवित्र मार्गशीर्ष, जिस महीने से नया साल शुरू होता था, जानिए वजह

 डिजिटल डेस्क :20 नवंबर से अगन का महीना शुरू हो गया है। जो 19 दिसंबर तक चलेगा। इसका नाम संस्कृत शब्द अग्रहयन के नाम पर रखा गया है। अग्रहयन का अर्थ है जो आगे है, यानी साल का पहला महीना। सतयुग में इसी महीने से नया साल शुरू होगा। इसे मार्गशीर्ष कहा जाता है क्योंकि इस महीने की पूर्णिमा के दिन मृगशिरा एक तारा है। इस पवित्र महीने में भगवान शिव-पार्वती और श्रीराम-सीता का विवाह हुआ था।

 वैदिक पथ के शीर्ष का नाम ‘साह मास’ है

वेदों में मार्गशीर्ष मास को सह मास कहा गया है। यानी यह महीना बराबर है। इस महीने में किए गए सभी व्रत और पूजा का फल जल्द ही मिलेगा। इस महीने में किए गए सभी अच्छे काम भगवान को समर्पित होते हैं। मार्गशीर्ष का महीना वैदिक काल से ही बेहद खास माना जाता रहा है। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, यह पायनियरिंग और शीर्ष पर रहने के सभी महीनों में सबसे खास है।

 शिव पुराण के अनुसार अगने में शिव का विवाह होता है

शिव पुराण के 35वें अध्याय में रुद्र संहिता के पार्वती खंड में कहा गया है कि महर्षि वशिष्ठ ने शिव-पार्वती विवाह के लिए हिमालय की व्याख्या करते हुए मार्गशीर्ष के महीने में विवाह का समय तय किया था। जो इस संहिता के श्लोक 56 से 61 में बताया गया है। पुरी ज्योतिषी डॉ. गणेश मिश्रा का कहना है कि शिव पुराण में वर्णित तिथि और माह के अनुसार यह दिन इसी वर्ष 21 नवंबर को पड़ता है।

 श्री राम-सीता विवाह

धार्मिक विद्वानों के अनुसार अगन माह में राम और सीता का विवाह हुआ था। ज्योतिषियों का कहना है कि त्रेतायुग में मार्गशीर्ष मास के शुक्लपक्ष की पंचमी तिथि को श्रीराम और सीता का विवाह नक्षत्र उत्तरपालगुनि में हुआ था। इस पावन पर्व में तीर्थ, स्नान, भिक्षा और व्रत के माध्यम से भगवान राम और सीता की विशेष पूजा की जाती है। इसलिए इस दिन को विवाह पंचमी भी कहा जाता है।

 भगवान कृष्ण ने इसी माह दिया था गीता का ज्ञान, जानें गीता की महिनमा

यह महीना बांकेबिहारी और कश्यप ऋषियों से जुड़ा है

डॉ. गणेश मिश्रा बताते हैं कि श्रीमद्भगवद गीता में भगवान कृष्ण कहते हैं कि सभी महीनों में मार्गशीर्ष का महीना उनका रूप है। इस पवित्र महीने में ऋषि कश्यप ने कश्मीर क्षेत्र का निर्माण शुरू किया था। भगवान बांके बिहारी इस महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी को वृंदावन के निधिबन में प्रकट हुए। तो इस दिन भगवान कृष्ण की बांकेबिहारी के रूप में पूजा की जाती है और पूरे ब्रज में त्योहार मनाए जाते हैं।

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