शनिवार का दिन (Shanivar) सूर्य पुत्र शनि देव की आराधना के लिए निर्धारित किया है. इस दिन शनि देव की पूजा करने से वे प्रसन्न होते हैं और सभी कष्टों को दूर करके मनोकामनाओं को पूरा करते हैं. आज शनिवार के दिन आपको शनि देव (Shani Dev) की एक पौराणिक कथा के बारे में बताते हैं, जिसमें बताया गया है कि शनि देव हमेशा अपना सिर नीचे करके क्यों चलते हैं? इसमें उनको पत्नी से प्राप्त श्राप के बारे में भी बताया गया है. आइए जानते हैं कि शनि देव को उनकी पत्नी ने श्राप क्यों दिया था?
पत्नी ने शनि देव को श्राप क्यों दिया
ब्रह्म पुराण में दी गई कथा के अनुसार, शनि देव का विवाह चित्ररथ की पुत्री से हुआ था. वह गुणी, तेजस्वी और साध्वी प्रकृति की थीं. शनि देव बाल्यकाल से ही भगवान श्रीकृष्ण के भक्त थे. वह जब कभी भगवान श्रीकृष्ण का ध्यान करते, तो ऐसे मग्न हो जाते थे कि बाहरी दुनिया की कोई सुध नहीं रहती थी.
एक दिन उनकी पत्नी को पुत्र प्राप्ति की चाह हुई. वह शनि देव की प्रतीक्षा करने लगीं. उधर शनि देव बाहरी दुनिया से दूर अपने आराध्य प्रभु श्रीकृष्ण के ध्यान में मग्न थे. शनि देव को ध्यान से बाहर निकलने में काफी समय लग गया. दूसरी ओर पत्नी प्रतीक्षा करते हुए अत्यंत क्रोधित हो गईं.
शनि देव जैसे ही उनके पास पहुंचे, क्रोध के आवेश में पत्नी ने श्राप दे दिया कि आप आज से जिसे भी देखेंगे, वह नष्ट हो जाएगा. उनकी श्राप फलित होना था क्योंकि वह पतिव्रता तेजस्वी स्त्री थीं. शनि देव ने देरी का कारण बताया और उनको काफी समझाया. उन्हें अपनी गलती का एहसास तो हो गया, लेकिन वह श्राप को निष्प्रभावी नहीं कर सकती थीं. इस वजह से शनि देव की दृष्टि क्रूर हो गई.
पत्नी से मिले श्राप के कारण शनि देव हमेशा अपना सिर नीचे करके चलते हैं. कहीं गलती से भी किसी पर उनकी सीधी दृष्टि पड़ गई तो वह नष्ट हो सकता है. ऐसी पौराणिक मान्यता है. हालांकि ज्योतिष में भी बताया गया है कि हर व्यक्ति के जीवन में शनि की दशा जरूर आती है. वह शनि की दृष्टि से बच नहीं सकता है.
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