तालिबान के कब्ज़े से चीन और पाकिस्तान जैसे देश खुश क्यों है?

चीन और पाकिस्तान जैसे देश खुश क्यों है?
चीन और पाकिस्तान जैसे देश खुश क्यों है?

डिजिटल डेस्क : अफगानिस्तान में क्या हुआ ? तालिबान क्या कर रहा है?  ये तो हम सब  जानते ही है पर अफगानिस्तान के इस संकट से भारत पर क्या प्रभाव पड़ेगा ये अपने क्या  कभी सोचा है? या तालिबान के कब्ज़े से चीन और पाकिस्तान जैसे देश क्यों खुश है? अफगानिस्तान जिसे युद्ध का मैदान भी कहा जाता है और  अब इस युद्ध के मैदान पर 20 साल पुरानी अमेरिका अफगान लड़ाई का अंत होने के साथ ही एक बड़े युद्ध का प्रारंभ होने का संकेत  तो हम सबको मिल ही रहा है 

 पर चलिए पहले जानते है क्या था ये 20 साल पुराना अमेरिका अफगान युद्ध  ?

 अमेरिका का सितम्बर 9 /11 का आतंकी हमला तो आपको याद ही होगा| और ये भी आपको पता होगा की उस आतंकी  हमले में अल-क़ायदा का हाथ था \वही अल-क़ायदा जो तालिबान के इशारो पर चलता है | और  तालिबानियों की  जड़े अफगानिस्तान में थी और उन्ही जड़ो को उखड फेकने के लिए ही अमेरिकी सेनिको को अफगानिस्तान में तैनात किया गया था.लेकिन अब तस्वीर बिगड़ गयी है. ताबिलान का अब अफगान पर इस तरह से कब्ज़ा हो गया है की अमेरिका ने अपने सभी सैनिकों को वापस बुला लिया है और इसी तरह अमेरिका ने अपने 20 साल पुराने युद्ध को खत्म करने की घोषणा कर दी है। 

 क्यों पाकिस्तान और चीन है तालिबान के कब्ज़े से खुश?

 अगर में आपसे पूछों पाकिस्तान  को क्या चाहिए तो आप तुरंत जवाब देंगे कश्मीर |और कश्मीर को पाने के ;लिए ही पाकिस्तान अब ताबिलानियो के समर्थन में खड़ा हुआ था |ईमरान खान का माना था हम तुम्हे हथियर देंगे तुम हमे कश्मीर देना | पर  तालिबान ने अब इमरान खान को झटका देते  हुए कहे दिया है की वो कश्मीर के मुद्दे में दखल नहीं देंगे | तालिबानियों के आगे कहा ,”हमारी नीति के अनुसार हम दूसरे देशों के मामलों में दखल नहीं देते  हैं और हम उम्मीद करते हैं कि दूसरे भी हमारे मामले में दखल  नहीं देंगे “।

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 अब अगर ये सोचा जाये की चीन क्यों समर्थन में है तालिबान के तो उसका सीधा कारण है व्यापार|अफगानिस्तान की भौगोलिक यानि geographicalस्थिति ऐसी जगह पर है जहाँ पर बहुत से मिनरल पाए जाते है जिसकी कीमत है वन ट्रिलियन डॉलर यानि एक लाख क्रॉर्स के बराबर है |तालिबानी नेताओं ने इस मौके पर 20 साल के युद्ध के अंत को चिह्नित करते हुए कई राउंड फायरिंग भी की। इनमें खासतौर पर दोहन महिलाओं का होता है। उन्हें न ही नौकरी की आजादी होती है और न घर से बाहर निकलने की।

 तालिबान के शीर्ष नेता अनस हक्कानी का कहना है की वो भारत के साथ अच्छे संबंध चाहते हैं| विद्रोह की भावना न रखना या विद्रोह न करना ये दोनों अलग बातें है|देखना अब ये होगा की अफगान में फासे हुए लोग अपना गुज़ारा कैसे करते है और तालिबानी  उन पर किस तरह से हुकूमत करेंगे|