कोलकाता : कैसा होगा कोलकाता, और कितनी खूबसूरत होगी सिटी ऑफ जॉय, बाकी मेगासिटी की तुलना में कोलकाता कितना आगे होगा, इन सभी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाने की जिम्मेदारी उठाएंगे महानगर के मेयर। कोलकाता नगर निगम का चुनाव हो गया है, ऐतिहासिक जीत के साथ तृणमूल बोर्ड बना रही है। कोलकाता का पहला नागरिक कौन होगा, इसका फैसला आज मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपने पार्टी नेताओं के समक्ष करने वाली हैं। महाराष्ट्र भवन में होने वाली आज की बैठक में पार्टी निगम में अपने बोर्ड सदस्यों का चुनाव करने के साथ ही कोलकाता के 40वें मेयर को चुनेगी।
सफल मेयर का खिताब सुब्रत मुखर्जी के सिर
राज्य के पूर्व मंत्री स्व. सुब्रत मुखर्जी के सिर कोलकाता नगर निगम में सफल मेयर का खिताब सजाया गया है। इनका कार्यकाल 2000 से 2005 तक था। कोलकाता की तस्वीर बदलने में सुब्रत मुखर्जी का बड़ा योगदान रहा है। जितनी भी बड़ी परियोजनाएं हैं वह उन्हीं के कार्यकाल में शुरू की गयी थी जिसे बाद के मेयर ने आगे बढ़ाया। शोभन चटर्जी को अपने कार्यकाल में जलापूर्ति परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए जाना जाता है जबकि फिरहाद हकीम ने कोलकाता को खूबसूरत बनाने में मेयर के तौर पर बेहतरीन भूमिका निभाई है।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस भी रहे कोलकाता के मेयर
कोलकाता नगर निगम का अपना अलग इतिहास रहा है। इसे और महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि आजादी के सबसे बड़े महानायक नेताजी सुभाष चंद्र बोस कोलकाता के मेयर रह चुके हैं। 22 अगस्त 1930 से 15 अप्रैल 1931 तक नेताजी कोलकाता नगर निगम में मेयर की कुर्सी पर आसीन थे। उनके बाद बंगाल के पहले मुख्यमंत्री विधानचंद्र राय ने अप्रैल 1931 से अप्रैल 1932 तक मेयर का पदभार संभाला।
1985 में बदला निगम का अहम कानून
कोलकाता नगर निगम की स्थापना 16 अप्रैल, 1924 को हुई थी। शुरुआती समय में मेयर का कार्यकाल एक साल का होता था जो 1985 तक बदस्तूर जारी रहा। 1985 में कलकत्ता म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन एक्ट में संशोधन किया गया जिसके तहत कलकत्ता म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन एक्ट, 1980 के पश्चिम बंगाल अधिनियम के तहत मेयर का कार्यकाल एक साल से बढ़ा कर 5 साल कर दिया गया।
कोलकाता के पहले मेयर देशबंधु चित्तरंजन दास
कोलकाता नगर निगम में पहले मेयर बने थे देशबंधु चित्तरंजन दास। इनका कार्यकाल अप्रैल 1924 से अप्रैल 1925 था। इनके बाद से अब तक कोलकाता में 39 मेयर चुने गये हैं। यहां हम बताते चलें कि आजादी मिलने के बाद वर्ष 1948 से 1952 व 1972 से 1985 तक कोलकाता में कोई मेयर नहीं था।
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