देवों के देव महादेव कहे जाने वाले भगवान शिव बहुत दयालु हैं. भगवान भोलेनाथ के अनेक भक्त हैं जो उन्हें प्रसन्न करने के लिए सोमवार का व्रत रखते हैं. भगवान शिव अपने भक्तों को संकट से उबारते हैं और उनकी हर मनोकामना पूरी करते हैं. भगवान शिव को लेकर कई सारी पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं. जिसमें उनके बारे में बहुत सी बातें उल्लेखित है. आपने भगवान शिव को रुद्राक्ष की माला धारण किए हुए देखा होगा. भगवान शिव से जुड़े होने के कारण रुद्राक्ष को बहुत ही पवित्र माना जाता है. कहा जाता है कि रुद्राक्ष को धारण करने मात्र से ही जीवन से सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं. आज हम आपको बताएंगे कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति कैसे हुई. आइए जानते हैं.
दो शब्दों से मिलकर बना
दरअसल, रुद्राक्ष दो शब्दों से मिल कर बना है. जिसमें पहला शब्द रुद्र और दूसरा अक्ष. रुद्र का अर्थ होता है शिव और अक्ष का अर्थ आंख होता है.
देवी भागवत पुराण के अनुसार
देवी भागवत पुराण के अनुसार एक बहुत ही शक्तिशाली राक्षस त्रिपुरासुर था जिसे अपनी शक्ति पर बहुत घमंड था. जिसके चलते उसने धरती पर सभी को परेशान करना शुरु कर दिया. उनसे देवताओं और ऋषियों को भी नहीं छोड़ा. उस राक्षस के बल के आगे देव या ऋषि कोई भी उसे हराने में कामयाब नहीं हुए. परेशान होकर ब्रह्मा, विष्णु और दूसरे देवता भगवान शिव के पास त्रिपुरासुर के वध की प्रार्थना लेकर गए. भगवान ने यह सब सुना तो वे द्रवित हुए और अपनी आंखें योग मुद्रा में बंद कर लीं.
जिसके थोड़ी देर बाद भगवान शिव ने अपनी आंखें खोली तो उनकी आंखों से आंसू धरती पर टपके. मान्यता है कि जहां जहां भगवान शिव के आंसू गिरे वहां-वहां रुद्राक्ष के वृक्ष उगे. रुद्र का अर्थ है ‘शिव’ और अक्ष मतलब ‘आंख’ जिसका अर्थ है शिव का प्रलयंकारी तीसरा नेत्र. इसलिए इन पेड़ों पर जो फल आए उन्हें ‘रुद्राक्ष’ कहा गया. इसके बाद भगवान शिव ने अपने त्रिशूल से राक्षस त्रिपुरासुर का वध कर पृथ्वी और देवलोक को उसके अत्याचार से मुक्त कराया.
एक अन्य मान्यता के अनुसार माता सती ने जब हवनकुंड में कूद कर आत्मदाह कर लिया था तब महादेव ने उनके जले हुए शरीर को लेकर तीनों लोकों में विलाप करते हुए विचरण किया था. कहा जाता है शिव के विलाप के कारण जहां-जहां भगवान शिव के आंसू टपके वहां-वहां रूद्राक्ष के वृक्ष उत्पन्न हुए.
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इन जगहों पर हैं रुद्राक्ष के वृक्ष
रुद्राक्ष के वृक्ष दक्षिण एशिया में जावा, भारत, नेपाल, मलेशिया और ताइवान में मुख्य रूप से पाए जाते हैं. वहीं भारत में असम, अरुणाचल प्रदेश और देहरादून जैसी जगहों पर रुद्राक्ष के पेड़ देखने को मिलते हैं.