वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को वरुथिनी एकादशी कहते हैं. इस साल वरुथिनी एकादशी पर त्रिपुष्कर योग बन रहा है. इस दिन योग में किए गए शुभ कार्यों का फल तीन गुना प्राप्त होता है. वरुथिनी एकादशी व्रत रखने से कष्टों से मुक्ति मिलती है और स्वर्ग की प्राप्ति होती है. इस दिन भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा अर्चना करने और उनकी कृपा से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है. भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को वरुथिनी एकादशी व्रत के महत्व के बारे में बताया था. आइए जानते हैं वरुथिनी एकादशी पर बनने वाले त्रिपुष्कर योग, पूजा मुहूर्त एवं पारण समय के बारे में.
वरुथिनी एकादशी पर त्रिपुष्कर योग
ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट के अनुसार, जब मंगलवार, शनिवार या रविवार के दिन द्वादशी, सप्तमी या द्वितीया तिथि होती है और उस समय कृत्तिका, पुनर्वसु, विशाखा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराषाढ़ या उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र होता है, तो त्रिपुष्कर योग बनता है. इस योग में आप जो भी कार्य करते हैं, उसका फल तीन गुना प्राप्त होता है.
एकादशी व्रत के दिन त्रिपुष्कर योग 26 अप्रैल को देर रात 12 बजकर 47 मिनट से शुरु हो रहा है, जो अलगे दिन 27 अप्रैल को सुबह 05 बजकर 44 मिनट तक रहेगा. 27 अप्रैल को सूर्योदय पूर्व तक एकादशी तिथि मान्य है.
वरुथिनी एकादशी मुहूर्त 2022
पंचांग के अनुसार, वैशाख कृष्ण एकादशी तिथि 25 अप्रैल दिन सोमवार को देर रात 01 बजकर 37 मिनट पर शुरु हो रही है. यह तिथि 26 अप्रैल दिन मंगलवार को देर रात 12 बजकर 47 मिनट तक रहेगी. व्रत, पूजा आदि में सूर्योदय के आधार पर तिथि की गणना होती है, इसलिए 26 अप्रैल को वैशाख कृष्ण एकादशी तिथि होगी. ऐसे में इस दिन ही वरुथिनी एकादशी व्रत रखा जाएगा.
वरुथिनी एकादशी वाले दिन ब्रह्म योग सुबह से ही लग जा रहा है, जो शाम को 07:06 बजे तक रहेगा. ऐसे में आप वरुथिनी एकादशी की पूजा सुबह से ही कर सकते हैं. इस दिन का शुभ समय दिन में 11 बजकर 53 मिनट से शुरु हो रहा है, जो दोपहर 12 बजकर 45 मिनट तक रहेगा.
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व्रत पारण समय
वरुथिनी एकादशी व्रत का पारण 27 अप्रैल दिन बुधवार को सुबह 06 बजकर 41 मिनट से सुबह 08 बजकर 22 मिनट के बीच कर लिया जाना चाहिए. पारण में हमेशा इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि द्वादशी तिथि का समापन न हो और हरि वासर न हो.