लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट बताया कि उसने आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत याचिका का विरोध किया था। साथ ही कोर्ट को अवगत कराया कि घटना के चश्मदीद गवाह ने आरोपी मिश्रा को मौके से भागते देखा था और यह बात चार्जशीट में भी है। उत्तर प्रदेश सरकार ने कोर्ट में कहा कि अपराध गंभीर श्रेणी का है और ऐसे में आरोपी को जमानत देना समाज पर बुरा असर डाल सकता है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा गंभीर और जघन्य अपराध के दो संस्करण
इस मामले की सुनवाई कर रही बेंच ने कहा कि गंभीर और जघन्य अपराध के दो संस्करण होते हैं और वह किसी भी संस्करण पर टिप्पणी नहीं कर सकता है। उन्होंने कहा प्रथम दृष्टया में हम यह मान रहे हैं कि वह घटना में शामिल थे और एक आरोपी है, वह निर्दोष नहीं है। बेंच ने पूछा कि क्या यह राज्य का मामला है कि उसने सबूत नष्ट करने का प्रयास किया? इस पर अतिरिक्त महाधिवक्ता ने जवाब दिया, अब तक तो ऐसा नहीं हुआ है।
सुप्रीम कोर्ट ने विरोध करने की पूछी वजह
जब सुप्रीम कोर्ट ने जमानत याचिका का विरोध करने की वजह पूछी तो उत्तर प्रदेश सरकार की एडिशनल एडवोकेट जनरल गरिमा प्रसाद ने जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेके माहेश्वरी की पीठ को बताया कि अपराध गंभीर श्रेणी का है और आरोपी को जमानत देने से समाज में गलत संदेश जाएगा। आशीष मिश्रा की जमानत याचिका का विरोध करने वाले लोगों की तरफ से वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे कोर्ट में पेश हुए।
दुष्यंत दवे ने भी कहा कि आरोपी को जमानत देने से समाज में गलत संदेश जाएगा। उन्होंने कहा कि यह एक साजिश और सुनियोजित तरीके से की गई हत्या थी। दवे ने कहा कि आरोपी एक प्रभावशाली व्यक्ति का बेटा है और इसका केस भी मजबूत वकीलों द्वारा लड़ा जा रहा है।
वरिष्ठ वकील मुकुल ने ने किया दलील का विरोध
वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी आरोपी आशीष मिश्रा की तरफ से कोर्ट में पेश हुए और दुष्यंत दवे की दलील का विरोध किया और कहा कि वह कौन है? कितना ताकतवर है? क्या यह जमानत ना देने की वजह है! मुकुल रोहतगी ने दलील दी कि उनका मुवक्किल बीते एक साल से ज्यादा समय से जेल में बंद है और जिस तरह से ट्रायल चल रहा है, वह पूरा होने में 7-8 साल लेगा।
उन्होंने कहा कि जिस जगजीत सिंह ने मामले में शिकायत की है, वह चश्मदीद गवाह नहीं है और उसकी शिकायत सिर्फ अफवाह पर आधारित है। मुकुल रोहतगी ने ये भी कहा कि उनका मुवक्किल अपराधी नहीं है और उसका कोई आपराधिक इतिहास भी नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने जमानत पर फैसला सुरक्षित रखा
यूपी सरकार ने इस दौरान अदालत को चार्जशीट के बारे में भी अवगत कराया जिसमें गवाहों ने कहा है कि घटना के दौरान मिश्रा मौके से भाग रहा था। उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि कथित अपराध गंभीर प्रकृति के थे और ऐसे मामलों में जमानत देने से समाज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
बताते चलें कि सुप्रीम कोर्ट लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाले आरोपी आशीष मिश्रा की याचिका पर सुनवाई कर रहा है। लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली आशीष मिश्रा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है।
एसयूवी से चार किसानों को कुचला
आपको बता दे कि तीन अक्टूबर 2021 को लखीमपुर खीरी के तिकुनिया में उस समय हुई हिंसा में आठ लोग मारे गए थे, जब किसान क्षेत्र में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के दौरे का विरोध कर रहे थे। उत्तर प्रदेश पुलिस की प्राथमिकी के अनुसार, एक एसयूवी ने चार किसानों को कुचल दिया था, जिसमें आशीष मिश्रा भी सवार था।
घटना से आक्रोशित किसानों ने एसयूवी के चालक और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दो कार्यकर्ताओं की कथित तौर पर पीट पीटकर जान ले ली थी। हिंसा में एक पत्रकार भी मारा गया था।
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