आज बुधवार का दिन गणेश जी की पूजा के लिए समर्पित है. विघ्नहर्ता श्री गणेश जी से जुड़ी कई लोक कथाएं (Lok Katha) हैं, जो काफी प्रचलित हैं. आज आपको उन्हीं में से एक लोक कथा के बारे में बताते हैं. जो एक बुढ़िया मां और गणेश जी की कथा है. जिसमें गणेश जी उस बुढ़िया मां की बातों को सुनकर इतने प्रसन्न हो जाते हैं कि उसे उसका मनचाहा आशीर्वाद देकर चले जाते हैं. आइए जानते हैं गणेश जी और बुढ़िया मां की कथा के बारे में.
गणेश जी और बुढ़िया मां की कथा
एक समय की बात है. एक नगर में एक नेत्रहीन बुढ़िया रहती थी. वह गणेश जी की विधि विधान से पूजा करती थी. उनके जो भी व्रत होते हैं, सभी को नियम से करती थी. एक दिन भगवान गणेश ने उसकी परीक्षा लेने की सोची.
गणेश जी एक रोज प्रकट होकर उस बुढ़िया से कहे कि तुमको जो भी चाहिए, वह मांग लो, मिल जाएगा. इस पर उसने कहा कि उसे नहीं पता है कि क्या मांगे और क्या न मांगे. इस पर गणेश जी ने कहा कि अपने बेटे और बहू से सलाह ले लो.
तब वह बुढ़िया अपने बेटे और बहू के पास गई. उसने बताया कि गणेश जी ने कहा है कि जो इच्छा हो वो मांग लो. अब बताओं क्या मांगना चाहिए. इस पर उसके लड़के ने कहा कि तुम धन दौलत मांग लो. बहू ने कहा कि वंश वृद्धि के लिए नाती मांग लो.
बुढ़िया को बहू और बेटे की बात सही नहीं लगी. उसने पड़ोसन से पूछा, तो उसने कहा कि तुम अपने लिए आंखों की रोशनी मांग ले. अब वह गणेश जी का इंतजार करने लगी. गणेश जी फिर प्रकट हुए और उससे मांगने को कहा.
बुढ़िया ने कहा कि आप प्रसन्न हैं तो आंख की रोशनी दें, नाती-पोता दें, सुख दें, अमर सुहाग दें, स्वस्थ शरीर दें, धन-दौलत दें और मृत्यु बाद मोक्ष भी दें. बुढ़िया की चालाकी से गणेश जी अत्यंत प्रसन्न हुए. उन्होंने कहा कि तुमने तो ठग लिया. जो मांगा है, वो सब मिले. फिर गणपति बप्पा वहां से चले गए. बुढ़िया ने जो कुछ मांगा था, उसे सब मिल गया.
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