Wednesday, November 13, 2024
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सुप्रीम कोर्ट ने तीखी टिप्पणी -दोषियों के फैसले में दिमाग का इस्तेमाल किया गया या नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा की दोषियों की रिहाई के फैसले में दिमाग का इस्तेमाल किया गया या नहीं | बिलकिस बानो गैंगरेप केस के 11 दोषियों को रिहा किए जाने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने तीखी टिप्पणी की है। गुरुवार को दोषियों की गुजरात सरकार की ओर से रिहा किए जाने के खिलाफ दायर अर्जी पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और गुजरात सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। अदालत ने कहा कि हमें यह देखना होगा कि दोषियों की रिहाई के फैसले में दिमाग का इस्तेमाल किया गया या नहीं। इस अदालत ने दोषियों की रिहाई का आदेश नहीं दिया था। सरकार को सिर्फ इस अपनी रिहाई नीति के आधार पर विचार करने को कहा था। यही नहीं कोर्ट ने इस मामले में रिहा हुए 11 दोषियों को भी पार्टी बनाने को कहा है।

अब इस मामले की अगली सुनवाई दो हफ्ते बाद होगी। बता दें कि गोधरा कांड के बाद गुजरात में दंगे भड़क गए थे और इसी दंगे के दौरान बिलकिस बानों के परिवार के सात सदस्यों की हत्या कर दी गई थी। इतना ही नहीं दंगाइयों ने बिलकिस बानो के साथ सामूहिक दुष्कर्म भी किया था। मुंबई की एक विशेष सीबीआई अदालत ने 21 जनवरी, 2008 को हत्या और सामूहिक दुष्कर्म के मामले में सभी 11 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। बाद में बॉम्बे हाईकोर्ट ने उनकी सजा को बरकरार रखा।

दोषियों की रिहाई पर होगा सख्त फैसला 

सुप्रीम कोर्ट के रुख से साफ है कि बिलकिस बानो के रेप के दोषियों की रिहाई पर वह कोई सख्त फैसला ले सकता है। केस की सुनवाई के दौरान दोषियों के वकील ने अदालत से गुजारिश की थी कि पहले उनके तर्कों को सुना जाए कि यह याचिका सुनवाई योग्य है या नहीं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा करने से इनकार कर दिया।

देश भर में सवाल उठे हैं और शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन

बिलकिस बानो के दोषियों की रिहाई के खिलाफ सीपीएम की नेता सुभाषिनी अली, पत्रकार रेवती लाल और ऐक्टिविस्ट रूप रेखा रानी ने अर्जी दाखिल की थी। बता दें कि गुजरात सरकार ने बीते सप्ताह बिलकिस बानो से रेप के 11 दोषियों को रिहा कर दिया था। इस पर गुजरात समेत देश भर में सवाल उठे हैं और विरोध प्रदर्शन भी हो रहे हैं। यही नहीं इस मामले में केंद्र और गुजरात सरकार की राय भी अलग नजर आई है। होम मिनिस्ट्री ने इस मसले पर विवाद के बताया था कि उसने इन लोगों को रिहा करने की बात नहीं कही थी। ऐसे में अब देखना होगा कि गुजरात और केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में क्या जवाब दिया जाता है।

एक औरत को दिए गए न्याय का अंत यही है: बिलकिस बानो

बिलकिस बानो ने भावुक होते हुए कहा कि जब मैंने सुना कि 11 अपराधी जिन्होंने मेरे परिवार और मेरे जीवन को तबाह कर दिया और मेरी 3 साल की बेटी को मुझसे छीन लिया, वे आज मुक्त हो गए तो मैं पूरी तरह से निःशब्द हो गई। मैं अभी भी स्तब्ध हूं। आज मैं बस इतना ही कह सकती हूं – किसी भी महिला के लिए न्याय इस तरह कैसे खत्म हो सकता है? मुझे अपने देश की सर्वोच्च अदालतों पर भरोसा था। दोषियों की रिहाई ने मेरी शांति छीन ली है और न्याय में मेरे विश्वास को हिला दिया है। विश्वास सिर्फ मेरे लिए नहीं बल्कि हर उस महिला के लिए है जो अदालतों में न्याय के लिए संघर्ष कर रही है।

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