सुप्रीम कोर्ट ने धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के कुछ प्रावधानों की वैधता को बरकरार रखते हुए कहा कि हर मामले में ईसीआईआर (प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट) अनिवार्य नहीं। कोर्ट ने धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों पर कहा कि अगर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) गिरफ्तारी के समय इसके आधार का खुलासा करता है तो यह पर्याप्त है।
ऐसे में पी चिदंबरम पर भाजपा के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने निशाना साधा। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, “पीएमएलए पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला कुछ लोगो के लिए “चिकन खुद घर फ्राई होने आ गया” वाला मामला है। ईडी को यूपीए के कार्यकाल के दौरान पीसी द्वारा अधिकार दिया गया था।” बता दें कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रवर्तन मामले की सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) ईडी का एक आंतरिक दस्तावेज है।
कोर्ट ने कहा कि आरोपी को ईसीआईआर की कॉपी देना अनिवार्य नहीं है। गिरफ्तारी के दौरान आरोपी को केवल यह बता देना काफी है कि उसे किन आरोपों के तहत गिरफ्तार किया जा रहा है। पीएमएलए के कई प्रावधानों को याचिकाकर्ताओं ने असंवैधानिक बताते हुए कोर्ट में इसे चुनौती दी थी। याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि गिरफ्तारी के आधार या सबूत के बिना आरोपी को गिरफ्तार करने की अनियंत्रित शक्ति असंवैधानिक है।
पीएमएलए के अधीन कितने मामले हुए दर्ज’
कोर्ट ने इससे पहले पीएमएलए के प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। पीएमएलए के खिलाफ याचिका डालने वालों में में कार्ति चिदंबरम और जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती सहित अन्य कुछ लोग शामिल हैं। मालूम हो, दो दिन पहले सरकार ने लोकसभा में जानकारी दी थी कि कानून लागू होने के बाद पिछले करीब 17 साल में प्रवर्तन निदेशालय ने पीएमएलए के तहत लगभग 5,422 मामले दर्ज किए । मामले दर्ज होने के बाद पीएमएलए के प्रावधानों के तहत करीब 1,04,702 करोड़ रुपए की सम्पत्ति कुर्क की गई ।
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