सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में दिल्ली के छावला इलाके में एक 19 वर्षीय महिला के साथ बलात्कार और हत्या के मामले में मौत की सजा पाने वाले तीन दोषियों को बरी कर दिया है | दिल्ली हाईकोर्ट ने 2014 में दोषियों को मौत की सजा बरकरार रखी थी | कोर्ट ने कहा था कि दोषियों के लिए किसी तरह की नरमी नहीं बरती जाएगी | वहीं अब सुप्रीम कोर्ट ने 7 साल पुराने मामले में दोषियों को बरी कर दिया है | गुरुग्राम साइबर सिटी में काम करने वाली लड़की को दिल्ली के कुतुब विहार में उसके घर के पास एक कार में तीनों ने अपहरण कर लिया था |
उसका क्षत-विक्षत शव तीन दिन बाद रेवाड़ी के गांव रोधई के एक खेत से मिला था | शरीर पर कई चोटें थीं और उस पर कार के औजारों से लेकर मिट्टी के बर्तनों तक की वस्तुओं से हमला किया गया था | पुलिस ने बताया था कि रवि ने अपराध की साजिश रची, क्योंकि महिला ने रिश्ते के लिए उसके प्रपोजल को ठुकरा दिया था |
गाड़ी से पकड़ा था राहुल को
लड़की के अपहरण के समय के चश्मदीदों के बयान के आधार पर पुलिस ने लाल इंडिका गाड़ी की तलाश की | कुछ दिनों बाद उसी गाड़ी में घूमता राहुल पुलिस के हाथ लगा | उसने अपना गुनाह कबूल किया और अपने दोनों साथियों रवि और विनोद के बारे में भी जानकारी दी | तीनों की निशानदेही पर ही पीड़िता की लाश बरामद हुई थी |
सुप्रीम कोर्ट ने बताया ट्रायल में कहां हुई चूक
अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपी की पहचान तक साबित नहीं कर सका है। यह इस ट्रायल की एक बड़ी खामी रही है। बेंच ने कहा कि पूरे ट्रायल के दौरान 49 गवाहों में से 10 का क्रॉस एग्जामिनेशन भी नहीं किया गया। इस केस की सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने निचली कोर्ट्स को नसीहत भी दी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘अदालतों को कानून के मुताबिक मेरिट के आधार पर फैसले सुनाने चाहिए। कोर्ट को किसी भी तरह के बाहरी नैतिक दबाव में नहीं आना चाहिए।’ इस बेंच में चीफ जस्टिस के अलावा जस्टिस रविंद्र भट और जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी भी शामिल थे।
निर्भया जैसी क्रूरता का शिकार हुई थी युवती
फरवरी 2012 में हरियाणा के रेवाड़ी में युवती की लाश एक खेत में अधजली अवस्था में पाई गई थी। किडनैपिंग के कई दिनों के बाद युवती की लाश मिली थी और इसके चलते काफी विरोध हुआ था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यह बात सामने आई थी कि युवती को कार के औजारों से मारा गया था। इसके अलावा मिट्टी के कुछ बर्तन उसके सिर पर मारे गए थे। यही नहीं क्रूरता की हद यहां तक थी कि युवती की आंखों में तेजाब डाल दिया गया था।
उसके प्राइवेट पार्ट्स में शराब की बोतल डाल दी थी। तीनों दोषियों ने हाईकोर्ट में झटका लगने के बाद सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सजा घटाने की मांग की थी। लेकिन अदालत में सुनवाई के बाद पूरा मामला ही पलट गया और उन्हें रिहा कर दिया गया।
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