मध्य प्रदेश के सीहोर में बोरवेल में गिरी ढाई साल की बच्ची सृष्टि का रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा हो गया है। बच्ची को बोरवेल से निकालकर अस्पताल ले जाया गया जहां घुटन के कारण उसकी मौत की पुष्टि हो गई। बता दें कि सीहोर के ग्राम मुंगावली में पिछले 51 घंटों से सृष्टि नाम की बच्ची का रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा था। इस रेस्क्यू ऑपरेशन में जिला प्रशासन की टीमों के अलावा एसडीईआरएफ, एनडीआरएफ और आर्मी के जवान भी लगे हुए थे। बोरवेल से निकालने के बाद सृष्टि को तुरंत सीहोर जिला अस्पातल ले जाया गया।
Madhya Pradesh | The 2.5-year-old girl rescued from the borewell in Mungaoli village of Sehore district passes away
FIR registered against the owner of the farmland and the person responsible for the borewell, further investigation underway: Mayak Awasthi, SP Sehore pic.twitter.com/BQYZ6Gk4Pj
— ANI MP/CG/Rajasthan (@ANI_MP_CG_RJ) June 8, 2023
रोबोटिक एक्सपर्ट्स की टीम भी हुई थी शामिल
बता दें कि सृष्टि को बचाने के लिए जारी अभियान में तीसरे दिन गुरुवार को रोबोटिक एक्सपर्ट्स की एक टीम भी शामिल हुई। रेस्क्यू ऑपरेशन का आज तीसरा दिन था और बच्ची को बोरवेल में एक पाइप के जरिए ऑक्सीजन की सप्लाई की जा रही थी। अधिकारियों के मुताबिक, सृष्टि पहले करीब 40 फुट की ऊंचाई पर फंसी हुई थी और बाद में नीचे फिसल कर लगभग 100 फुट की गहराई में फंस गई थी। वह मंगलवार को दोपहर में करीब एक बजे बोरवेल में गिरी थी और तभी से उसे बचाने की कोशिश की जा रही है।
सीएम लगातार कर रहे थे रेस्क्यू ऑपरेशन की निगरानी
सृष्टि के रेस्क्यू ऑपरेशन में सेना की एक टीम भी लगी हुई थी जबकि राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) और राज्य आपदा आपातकालीन प्रतिक्रिया बल (एसडीईआरएफ) की टीमें पहले से ही इस काम में जुटी हैं। इसके अलावा 12 अर्थमूविंग और पोकलेन मशीनें भी बचाव अभियान में लगी हुई थीं। सूबे के मुख्यमंत् शिवराज सिंह चौहान और अधिकारियों की एक टीम भी बचाव अभियान की निगरानी के लिए जिला अधिकारियों के संपर्क में थी।
बोरवेल को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जारी किए थे दिशानिर्देश
बता दें कि 2009 में सुप्रीम कोर्ट ने खुले छोड़ दिए गए बोरवेल में बच्चों के गिरने की घातक दुर्घटनाओं को रोकने के लिए दिशानिर्देश जारी किए थे। अदालत द्वारा 2010 में जारी संशोधित दिशानिर्देशों में निर्माण के दौरान कुएं के चारों ओर कांटेदार तार की बाड़ लगाना, बोरवेल के ऊपर बोल्ट के साथ स्टील प्लेट कवर का उपयोग करना और नीचे से जमीनी स्तर तक बोरवेल को भरना शामिल है। हालांकि इन दिशानिर्देशों के बावजूद लोग लापरवाही करते हैं और यही वजह है कि आए दिन किसी न किसी बच्चे के बोरवेल में गिरने की खबरें सामने आती हैं।
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