Saturday, April 19, 2025
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देखिए शनिवार 19 फरवरी, 2022 का पंचांग

शनिवार 19 फरवरी, 2022 का पंचांग
आज का पंचांग
वार: शनिवार

पक्ष : कृष्ण पक्ष

तिथि :- कृष्ण तृतीया – 21:57:28 तक

तिथि विशेष: जया तिथि – सारांश : व्यवसाय, विवाह तथा शिशु का भोजन प्रारम्भ करने के लिए शुभ।

नक्षत्र: उत्तर फाल्गुनी – 16:52:2 तक

नक्षत्र स्वामी: सूर्य

नक्षत्र देवता: आर्यमान

नक्षत्र विशेष: उधर्वमुख नक्षत्र

योग: धृति – 16:56:51 तक

योग विशेषता : शुभ योग है, शुभ कार्यों को करने के लिए अच्छा है।

योग का अर्थ : (दृढ़ निश्चय) – अन्य के धन, वस्तु व जीवनसाथी का आनंद लेता है; अन्य के आतिथ्य में लिप्त।

करण: वणिज – 10:13:25 तक,

करण देवता : मणिभद्र

करण विशेषता: यह विक्रय कारोबार के लिए अनुकूल है तथा विक्रेताओं को अच्छा लाभ मिल सकता है जबकि खरीदार इस करण में हानि उठा सकते हैं।

सूर्य, चन्द्र गणना
सूर्योदय: 6:56:3

सूर्यास्त : 18:13:31

वैदिक सूर्योदय: 7:0:1

वैदिक सूर्यास्त : 18:9:33

चंद्रोदय: 20:50:25

चंद्रास्त : 8:38:8

चंद्र राशि : कन्या

सूर्य राशि: कुम्भ

दिशा शूल : पूर्व

नक्षत्र शूल चंद्र निवास : दक्षिण

हिन्दू मास एवं वर्ष
शक संवत : प्लव 1943

मास अमांत: माघ

विक्रम संवत: आनंद 2078

मास पूर्णिमांत: फाल्गुन

ऋतु : शिशिर

अयन : उत्तरायण

अशुभ मुहूर्त
राहु कालं : 09:45:25 से 11:10:06 तक

गुलिकालं : 06:56:03 से 08:20:44 तक

यंमघन्त कालं : 13:59:28 से 15:24:09 तक

शुभ मुहूर्त
अभिजीत मुहूर्त : 12:12 से 12:56 तक

क्या है पंचांग ?
पंचांग,  पंचांगम एक हिन्दू कैलेंडर  है. जो खगोलीय घटनाओं पर निर्धारित है. पंचांग में खगोलीय जानकारी को सारणीबद्ध किया जाता है. जिसका उपयोग ज्योतिष या हिन्दू धार्मिक विधान करने के लिए अति महत्वपूर्ण हो जाता है. किसी घटना घटनेपर विशिष्ट नक्षत्र, करण या योग महत्वपूर्ण भूमिका निभाते दिखाई देते है. यह जानकारी ज्योतिष अनुमान द्वारा मिल सकती है. पंचांग का उपयोग कर ज्योतिष गणना द्वारा राशिफल दिया जाता है.

पंचांग शब्द का उपयोग संस्कृत से किया जाता है. पंचांग यानि पांच अंग जो ऊर्जा स्त्रोतोंका प्रतिनिधित्व करते है. यह स्त्रोत दृश्य और अदृश्य दोनों में शामिल है. स्थान या क्षेत्र, समय, तारिक आदि, किसी मुहूर्त के लिए सटीक पंचांग का परिणाम बहुत ही महत्वपूर्ण है. तीथि, योग, वर, नक्षत्र और करण पंचांग की पांच विशेषताएं है. पंचांग की इन पांच विशेषताए जब किसी खास कारन के लिए संतुलन बनाये रखने पर, उसे मुहूर्त कहा जाता है. धार्मिक विधि, विधान करने के लिए, किसी कार्य का प्रयोजन करने के लिए, शुभ मुहूर्त बहोत ही महत्वपूर्ण बन जाता है.

पंचांग की जरुरत ?
पंचांग का उपयोग मुख्यत्वे, काल गणना, तिथि वार, व्रत, शुभ मुहूर्त, देखने के लिए पंचांग का उपयोग किया जाता है. ज्योतिष गाइड के दैनिक पंचांग में नक्षत्र, योग, करन सहित, शुभ – अशुभ समय, मुहूर्त, चंद्र बल, तारा बल पंचांग में आसानीसे उपलब्ध है.

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पंचांग (Panchang) का निर्धारण, ब्रम्हांड की गति पर निर्भर है. इसलिए जैसे जैसे पृथ्वी भ्रमण करती है, पंचांग समय क्षेत्र के अनुसार बदलता दिखाई देता है. इसलिए एक ही पंचांग अलग अलग क्षेत्रों के लिए अलग अलग हो सकता है. इसलिए सही पंचांग का समय निर्धारण के लिए, क्षेत्र को चुनना अति महत्वपूर्ण है.

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