डिजिटल डेस्क : केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को दो बड़े सुधार विधेयकों को मंजूरी दी। पहला बड़ा सुधार लड़कियों की शादी की उम्र से संबंधित है। कैबिनेट ने लड़के और लड़कियों के लिए शादी की न्यूनतम उम्र यानी 21 साल समान करने के बिल को मंजूरी दे दी है. अगर यह कानून लागू हो जाता है तो सभी धर्मों और वर्गों में लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र बदल जाएगी। वहीं चुनाव सुधार से जुड़े बिल को भी मंजूरी मिल गई है।यदि यह विधेयक संसद द्वारा पारित हो जाता है, तो मतदाता पहचान पत्र को आधार कार्ड से जोड़ने के साथ-साथ नए मतदाताओं को पंजीकरण के अधिक अवसर मिलेंगे। माना जा रहा है कि ये दोनों बिल संसद के मौजूदा सत्र में ही पेश किए जाएंगे। ये दोनों सुधार अपने आप में क्रांतिकारी माने जाते हैं। लड़कियों और लड़कों के लिए शादी की न्यूनतम उम्र बराबर करने की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2020 में लाल किले से अपने संबोधन के दौरान की थी। वहीं, चुनाव सुधार का मुद्दा चुनाव आयोग द्वारा लंबे समय से उठाया गया है। .
4 कानूनों में संशोधन के साथ सभी धर्मों पर समान रूप से लागू करने की सिफारिश
लड़कियों के लिए शादी की न्यूनतम उम्र पर विचार करने के लिए जया जेटली की अध्यक्षता में एक टास्क फोर्स का गठन किया गया था और पिछले साल दिसंबर में नीति आयोग को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। टास्क फोर्स ने लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाकर 21 साल करने की पूरी योजना पेश की थी और इसे पूरे देश में समान रूप से लागू करने की जोरदार सिफारिश की थी। मोदी सरकार के कार्यकाल में शादी के संबंध में यह दूसरा बड़ा सुधार है जो सभी धर्मों के लिए समान रूप से लागू होगा। इससे पहले 30 दिन के अंदर एनआरआई शादियों का रजिस्ट्रेशन कराने के लिए बड़ा कदम उठाया गया था।
टास्क फोर्स ने दिसंबर 2020 में दी रिपोर्ट
10 सदस्यीय टास्क फोर्स ने देश भर के प्रख्यात विद्वानों, कानूनी विशेषज्ञों, नागरिक समाज संगठनों के नेताओं से परामर्श किया। वेबिनार के माध्यम से देश में महिला प्रतिनिधियों से सीधे बातचीत के बाद दिसंबर के अंतिम सप्ताह में सरकार को रिपोर्ट सौंपी गई थी।
इससे पहले 1978 में विवाह कानून में संशोधन हुआ था
टास्क फोर्स ने शादी की उम्र 21 साल ही रखने के लिए चार कानूनों में संशोधन की सिफारिश की है। लड़कियों की न्यूनतम आयु में अंतिम परिवर्तन 1978 में किया गया था और इसके लिए शारदा अधिनियम 1929 में परिवर्तन करके आयु को 15 से 18 वर्ष कर दिया गया था।
18 से 21 साल के बीच 16 करोड़ लड़कियों की शादी
यूनिसेफ के मुताबिक भारत में हर साल 18 साल से कम उम्र में 15 लाख लड़कियों की शादी कर दी जाती है। जनगणना के महापंजीयक के अनुसार देश में करीब 16 करोड़ लड़कियों की शादी 18 से 21 साल के बीच होती है।
आधार लिंकिंग अब वैकल्पिक होगी
चुनाव आयोग ने मतदाता सूची को पारदर्शी और सटीक बनाने के लिए मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ने की सिफारिश की थी। यह फर्जी मतदाताओं या मतदाता सूची में एक से अधिक स्थानों पर पंजीकृत मतदाताओं को हटाने में भी मदद करेगा। चुनाव आयोग का इरादा प्रवासी श्रमिकों को उनके आवास के शहरों में मतदान करने की अनुमति देना है और यह कदम साकार होगा।
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वन नेशन वन डेटा की दिशा में भी यह एक बड़ा कदम होगा। जनप्रतिनिधित्व कानून में संशोधन कर विधेयक में एक जनवरी के बाद 18 साल के हो जाने वाले युवाओं को साल में चार बार मतदान सूची में अपना नाम दर्ज कराने की अनुमति देने का भी प्रावधान होगा। अभी तक उन्हें यह मौका सिर्फ एक बार ही मिला है।