Saturday, April 19, 2025
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कर्नाटक के इस मंदिर में विरुपाक्ष रूप विराजमान है महादेव, रहस्यमय है ये मंदिर

डिजिटल डेस्क : अब तक हमने कई मंदिरो , किलों के रहस्यों के बारे में जाना है और आज हम फिर आपको एक और मदिर के बारे में बताएंगे आज हम  के बारे में जानेंगे।  क्या आप जानते है  कर्नाटक के हम्पी में स्थित ये विरुपाक्ष मंदिर भारत के प्रसिद्ध ऐतिहासिक मंदिरोंकी सूचि में शामिल है। इस मदिर के लिए लोगों में ऐसी मान्यता है कि हम्पी रामायण काल की किष्किंधा है। इस मंदिर में देवो के देव महादेव के विरुपाक्ष रूप की पूजा होती है।

इस ऐतिहासिक मंदिर को यूनेस्को की विश्व धरोहर में भी शामिल किया गया है। इस मंदिर इ वैसे तो कई खूबियां है लेकिन इससे रहस्य भी जुड़ा हुआ है। इस मंदिर के रहस्य को अंग्रेजों ने भी जानने का प्रयास किया था लेकिन वो सफल नहीं हो सके।

भगवान विरुपाक्ष और उनकी पत्नी देवी पंपा को समर्पित इस मंदिर की खासियत है की यहाँ पर शिवलिंग दक्षिण की ओर झुका हुआ है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रावण ने भगवान श्री राम से युद्ध में जीत के लिए शिवजी की आराधना की। रावण भगवान शिव का बहुत बड़ा भक्त था और घोर तपस्या के बाद भगवान शंकर जब प्रकट हुए, तो रावण ने उनसे लंका में शिवलिंग की स्थापना करने को कहा। शिव जी के मना करने के बाद रावण उनसे विनती करने लगा।

रावण के बार-बार प्रार्थना करने के बाद भोलेनाथ उसकी बात मान गए लकिन एक शर्त पर महादेव ने रावण के सामने ये शर्त रखी की अगर शिवलिंग को लंका ले जाते समय नीचे जमीन पर नहीं रखना है अगर ऐसा किया तो वो उसी स्थान पर विराजमान हो जाएंगे । रावण के राज़ी होने के बाद वो शिवलिंग को लेकर लंका जा रहा था, लेकिन उसने रास्ते में एक व्यक्ति को शिवलिंग को पकड़े रहने के लिए दे दिया अगर उस व्यक्ति ने वजन ज्यादा होने की वजह से शिवलिंग को जमीन पर रख दिया।

बस उस व्यक्ति का ऐसा करना था की महादेव उसी स्थान पर विराजमान हो गए और तब से ही यह शिवलिंग यहीं रह गया। रावण की हजारों कोशिशों के बाद भी इसे यहाँ से हिलाया नहीं जा सका।

विरुपाक्ष मंदिर की दीवारों पर उस घटना का वर्णन चित्रों के माध्यम से किया गया है जो देखने में बेहद खूबसूरत है और मंदिर को एक अनोखी विशेषता प्रदान करता है। मंदिर की दीवारों पर बने चित्रों में दिखाया है कि रावण भगवान शंकर से पुन: शिवलिंग को उठाने की प्रार्थना कर रहा है, लेकिन भगवान शिव मना कर देते हैं। मान्यता के अनुसार ये भी कहा जाता है की यह भगवान विष्णु का निवास स्थान था, लेकिन उन्होंने इस जगह को रहने के लिए कुछ अधिक ही विशाल समझा और क्षीरसागर वापस चले गए।

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क्या आपको पता है ये मंदिर करीब 500 साल पुराना है। द्रविड़ स्थापत्य शैली में बने इस मंदिर का गोपुरम 500 साल से पहले बना था जो 50 मीटर ऊंचा है। भगवान शिव और देवी पंपा के साथ साथ यहाँ पर कई और छोटे-छोटे मंदिरों को देखा जा सकता हैं। इस मंदिर को पंपावती मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।

सबसे हैरान करने वाली बात इस मंदिर की यह है कि इस मंदिर के कुछ खंभों से संगीत की आवाजा आती है। इन खम्बों की इस खासियत के चलते ही इनको म्यूजिकल पिलर्स भी कहते हैं। कहा जाता है कि ब्रिटिशर्स ने खंभों से संगीत कैसे निकलता है यह जानने का प्रयास किया था । जिसके लिए उन्होंने इस मंदिर के खंभों तोड़कर देखा, तो वह हैरान रह गए, क्योंकि खंभे अंदर से खोखले थे और इसमें कुछ भी ख़ास नहीं था। इन म्यूजिकल पिल्लर्स से संगीत निकलने के रहस्य का खुलासा आज तक नहीं जो सका है जिस वजह से इसे रहस्यमयी मंदिर कहा जाता है।

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