डिजिटल डेस्क : बारासात अंचल के हाबरा स्टेशन के 1 नंबर प्लेटफार्म पर ‘एमए इंग्लिश चायवाली’ की चाय दुकान इन दिनों लोगों की चर्चा और आकर्षण का केंद्र बन गयी है। जहां एक ओर लोग उच्च शिक्षा के बाद अच्छी नौकरी के सपने देखते हैं वहीं हाबरा की टुकटुकी दास ने चाय की दुकान खोलकर खुद को स्वनिर्भर बनाने का रास्ता चुना है। टुकटुकी का कहना है कि उच्च शिक्षा लेकर नौकरी करने से मुझे स्वनिर्भर होने के लिए कुछ और करने की इच्छा थी और मैंने चाय बेचने की दिशा में ही आगे बढ़ना सोचा। कारण यह भी है कि भारत में चाय लोगों के जीवन में रोजमर्रा की चीजों में शामिल है और लोगों को चाय पिलाकर मुझे खुशी भी मिलती है। उसने कहा कि चाय दुकान का नाम यह रखने के पीछे भी एक कारण है, वह यही है कि पढ़े-लिखे लोग बेरोजगार रहना पसंद करते हैं जबकि वे चाय बेचने जैसा छोटा काम करने से हिचकिचाते हैं। ऐसे ही लोगों को संदेश देने के लिए भी मैंने यह नाम चुना है। लॉकडाउन के बाद लोकल ट्रेन की व्यवस्था के सामान्य होने के बाद स्टेशन पर पिछले एक सप्ताह से खुली यह नयी चाय दुकान को लेकर लोग आकर्षित हुए और देखते ही देखते यहां चाय पीने के लिए ग्राहकों की भीड़ भी जुटने लगी।
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टुकटुकी की यह दुकान सुबह से दिन के 11 बजे तक खुली रहती है जिसे वह खुद अकेले ही संभालती है। वहीं दोपहर के कुछ घंटों के आराम के बाद वह फिर शाम को दुकान खोलती जहां चाय के साथ अब ग्राहकों के लिए स्नैक्स भी उपलब्ध होते हैं। उसका कहना है कि चाय दुकान चलाने के उसके इस रास्ते में उसे काफी अड़चनों का भी सामना करना पड़ा। माता-पिता एमए पास बेटी के नौकरी पर जाने के सपने देखते हैं जबकि टुकटुकी कहीं नौकरी नहीं बल्कि कुछ अपना करने की सोच रही थी। काफी कोशिशों के बाद माता-पिता का समर्थन मिला तो टुकटुकी ने अपनी दुकान के लिए जगह खोजनी शुरू की और उसे यह जगह मिल गयी। उसने बताया कि पहले दिन किसी ने उसकी दुकान की ओर ध्यान नहीं दिया मगर अब उसके कई ग्राहक हैं और 6 दिनों की इस दुकान से उसे लाभ भी मिला है। उसका कहना है कि जब लोग थके मांदे उसकी दुकान पर कुछ देर के लिए चाय पीते-पीते ही कुछ मिनट चैन से बिताते हैं तो उसे यह बात खुश करती है। उसका कहना है कि कुछ लोग उसकी आलोचना करते हुए यह कहते हैं कि नौकरी नहीं मिलने के कारण उसने ऐसा किया है जबकि ऐसा नहीं है। उसने यह व्यवसाय अपनी मर्जी से ही शुरू किया है। वहीं ‘एमए इंग्लिश चायवाली’ के ग्राहकों का भी कहना है कि टुकटुकी की एक नयी और युवा सोच है जिसका स्वागत किया जाना चाहिए। वह काफी मेहनती है। वहीं टुकटुकी के परिवारवाले भी अब यह कह रहे हैं कि बेटी का व्यवसाय उसके सपनों के अनुरूप से सफल होगा, ऐसी वे कामना करते हैं। देखा जा रहा है कि अब टुकटुकी दास की यह दुकान सोशल मीडिया पर भी काफी तेजी से वायरल हो रही है और लोग दूर-दूर से अंग्रेजी बोलनेवाली चायवाली के पास चाय पीने पहुंच रहे हैं।