बाड़मेर जिले में इन दिनों पशुओं में चर्म रोग फैल रहा है। इस वायरल बीमारी से गाय, बैल सहित अन्य पशु संक्रमित हो रहे है। सबसे ज्यादा गाय ग्रस्ति है तथा अपनी जान गंवा रहे हैं। ये बीमारी कोरोना वायरस की तरह तेजी से फैलती है। संक्रमित पशु के संपर्क में आने से स्वस्थ पशु भी बीमारी की चपेट में आ जाता है। ये एक वायरस जनित संक्रामक रोग है। ये बीमारी गाय, बैल और भैंस में फैलती है। ऐसे में पशुओं की दर्दनाक मौतें हो रही हैं।
शिव इलाके के पशुपालक ने बताया कि कई पशुओं इस बीमारी से ग्रस्ति है। मगर पशुपालन विभाग इस ओर बिलकुल भी गंभीर नहीं है। हमे सरकारी दवाइयों का कोई लाभ नहीं मिल रहा है। उन्होंने बताया कि हम महंगे दामों में बाहर से पशुओं के लिए दवाइयां खरीद रहे हैं। बड़े पशु तड़प कर जान दे रहे हैं।
अतिरिक्त उप निदेशक रतनलाल जीनगर कहना है कि जिले में सिणधरी व शिव में लम्पी स्कीन डिजीज बीमारी फैली हुई है। लेकिन अभी तक किसी भी पशु की मौत की पुष्टि नहीं है। ज्यादातर गायों में ही फैल रही है। कमजोर पशु की मौत होती है लेकिन स्वस्थ्य पशु को समय पर उपचार मिल जाता है और खान-पान सहीं हो तो उसको बचाया जा सकता है। अभी तक इस बीमारी की वैक्सीन नहीं आई है। यह संक्रमित बीमारी है। एक-दूसरे के टच से फैलती है।
सिणधरी कामधेनू गोशाला में हुई थी पुष्टि
रतनलाल जीनगर का कहना है कि करीब एक माह में पहले सिणधरी कामधेनू गोशाला में यह बीमारी दिखने पर सैंपल लेकर टेस्ट करवाया गया। रिपोर्ट में लम्पी स्कीन डिजीज बीमारी की पुष्टि हुई थी। इसमें 60 से ज्यादा गाय सहित पशुओं संक्रमित हुए थे। पशुओं का उपचार करके कंट्रोल कर लिया है।
पशु विभाग करवाया रहा है सर्वे
विभाग के अधिकारियों का कहना है कि हमने जिले में नोडल अधिकारियों को निर्देश दिए है कि अपने इलाके में निरंतर निगरानी रखे। संबंधित संस्थाओं व कर्मचारियों को कहा है कि जहां भी इस बीमारी की पुष्टि हो उसका सर्वे करें और जितने भी पशु इस बीमारी से ग्रस्ति होते उसका तुंरत उपचार करें और विभाग को सूचित करें।
बीमारी का लक्षण
डॉक्टर का कहना है कि इस बीमारी के लक्षण सबसे पहले पशुओं में बुखार आता है। त्वचा पर गांठें व मुंह में छाले होने लगती है। पशु चरना-फिरना बंद कर देता है। कमजोर पशु को यह बीमारी लग जाती है तो समय पर इलाज नहीं होने पर मौत तक हो जाती है।
पशु विभाग की अपील
विभाग ने पशुपालक से अपील की है कि जब भी ऐसे लक्षण पशुओं में दिखे तो आसपास के पशु डॉक्टरों से संपर्क करें और समय पर इलाज करावें। इससे गाय सहित पशुओं को बचाया जा सके। पशुओं के संपर्क के आने के बाद पशुपालक, डॉक्टर सहित अन्य लोग साबुन से हाथ अवश्य धो ले।